गरीबी से सिर्फ एक मेडिकल बिल दूर हैं आप
नई दिल्ली , 08 मई 2023 /
बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ने का ऐलान होते ही शेयर बाजार उछल गया। जैसे ही उसे ‘असलियत’ का एहसास हुआ उसकी हंसी गायब होने लगी। शेयर बाजार शरीर में दिल की तरह है। हर हरकत पर उसकी धड़कनें तेज और धीमी होती हैं। वह बिना प्रतिक्रिया दिए रह ही नहीं सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश किया। इसमें उन्होंने इनकम टैक्स की नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने का जुगाड़ किया। इसका ऐलान वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में हुआ था। दो साल पहले लाई गई इस व्यवस्था को फीकी प्रतिक्रिया मिली। ज्यादातर लोगों ने बिना डिडक्शन और एक्जेम्पशन वाली व्यवस्था में जाने के बजाय इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था में रहने का फैसला किया। इसमें उन्हें सेविंग पर टैक्स से छूट मिलती है। भारतीय सेविंग को बहुत ज्यादा तवज्जो देते हैं। इसका फायदा भी हुआ है। न सिर्फ लोगों को, बल्कि सरकार को भी। इसने मुश्किल समय में अर्थव्यवस्था का दिवाला निकलने से बचाया है। जब मंदी ने पूरी दुनिया पर गाज गिराई भारत चट्टान की तरह खड़ा रहा। लोगों की छोटी बचत ने मंदी के तूफान में भी देश की अर्थव्यवस्था पर आंच नहीं आने दी। हालांकि, सीतारमण के ताजा बजट ने बचत की सोच पर हथौड़ा चला दिया है। सरकार ‘बचत’ को हतोत्साहित करने वाली इनकम टैक्स की नई व्यवस्था की तरफ लोगों को ले जाना चाहती है। वहीं, सच यह है कि यही बचत लोगों को गरीब होने से बचाती है। वरना जिस तरह दवा-पानी का खर्च बढ़ा है, उसमें सिर्फ एक बार अस्पताल में भर्ती होना किसी को गरीब बनाने के लिए काफी है।
बिना पुश किए कोई नहीं खरीदता इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट
वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत पर्सनल इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाया है। इसे बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया है। यानी किसी की इनकम 7 लाख रुपये तक है तो उसे टैक्स नहीं देना होगा। अभी तक यह लिमिट 5 लाख रुपये थी। इसके अलावा टैक्स स्लैब को सात से घटाकर पांच किया गया है। बेशक, इनकम टैक्स की नई व्यवस्था कम्प्लायंस के लिहाज से अच्छी है। लेकिन, यह सेविंग को प्रोत्साहित नहीं करती है। इस व्यवस्था में टैक्स के रेट कम हैं। लेकिन, इसमें तमाम तरह के एक्जेम्पशन और डिडक्शन का बेनिफिट नहीं मिलता है। एक्जेम्पशन और डिडक्शन बेनिफिट पाने के लिए ही लोग अब तक इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स में निवेश करते रहे हैं।