हीटस्ट्रोक (लू) में होम्योपैथी चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका: डॉ. रश्मि चवरे

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रायपुर।

 लू या हीटस्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है जो शरीर के तापमान के अत्यधिक बढ़ जाने से होती है। विशेष कर जब शरीर का तापमान 40 डिग्री से ऊपर चला जाए। यह आम तौर पर अत्याधिक गर्मी, धूप में लंबे समय तक रहने या अधिक शारीरिक परिश्रम के कारण होता है। लू के लक्षण तेज बुखार, पसीना ना आना, चक्कर आना, बेहोशी, सर दर्द, उल्टी, त्वचा का लाल और सुख होना, दिल की धड़कन तेज होना, कमजोरी या थकावट है।

डॉ. रश्मि चवरे बताती हैं कि होम्योपैथी न केवल रोग के लक्षणों पर काम करती है, बल्कि यह शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी सक्रीय करती है। यह पद्धति सम्पूर्ण व्यक्ति को देखती है न केवल बीमारी को।

होम्योपैथिक पद्धति के अनुसार, रोग से पहले रोकथाम सबसे प्रभावी चिकित्सा है। गर्मी के मौसम में हल्के और ढीले कपड़े पहनना, छांव में रहना, भरपूर पानी पीना और मानसिक शांति बनाए रखना जरूरी है। होम्योपैथी जीवन शैली में संतुलन और आहार विहार पर ध्यान देती है जिससे लू से बचा जा सकता है।

मानसिक संतुलन बनाए रखना- होम्योपैथी केवल शरीर ही नहीं बल्कि मन पर भी ध्यान केंद्रित करती है। अत्याधिक गर्मी में चिड़चिड़ापन बेचैनी और थकान आम हो जाती है। होम्योपैथी इन मानसिक लक्षणों को भी समझ कर व्यक्ति की समग्र स्थिति को सुधारने का प्रयास करती है।

शरीर में वाइटल फोर्स जागृत करना- होम्योपैथी का सिद्धांत है कि शरीर में एक आंतरिक जीवन शक्ति होती है जो स्वयं रोगों से लड़ सकती है। इस शक्ति को मजबूत बनाने के लिए प्राकृतिक खान-पान भरपूर पानी और संतुलित दिनचर्या अपने पर जोर दिया जाता है।

रिकवरी में सहायता – लू के बाद शरीर कमजोर हो जाता है। रिकवरी के दौरान होम्योपैथी, शरीर को आत्म चिकित्सा के लिए प्रोत्साहित करती है- थकान से उभरने के लिए पर्याप्त आराम, तरल पदार्थाें की पूर्ति, ठंडी पट्टियों से शरीर का तापमान नियंत्रित रखना, हल्का भोजन।

हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है और होम्योपैथी उसी के अनुसार इलाज बताती है। इसके अनुसार शरीर की गर्मी झेलने की क्षमता, मन की स्थिति पसीना आना या नहीं आना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, बेचैनी जैसे लक्षणों के आधार पर सलाह दी जाती है।

होम्योपैथी केवल लक्षणों पर ही नहीं बल्कि व्यक्ति की संपूर्ण मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्थिति को देखकर इलाज करती है। होम्योपैथिक में लू के लिए काफी प्रभावित दवाएं मौजूद है। किसी भी दवा को लेने से पहले अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श जरूर ले।


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