भारतीय कंपनियों का चीन में स्वागत

नई दिल्ली।
भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। भारत की कोशिश है कि इसे कैसे कम किया जाए। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ से परेशान चीन ने ही भारत के सामने एक बड़ा ऑफर पेश किया है। चीन अब भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करने को तैयार है। उसने भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है। एक इंटरव्यू में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने कहा कि चीन भारत के साथ मजबूत संबंध चाहता है। हम भारत के व्यापार घाटे को भी कम करने को तैयार हैं। चीन में भारतीय निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भारत में भी चीनी कंपनियों को उचित माहौल दिया जाएगा। जू फेइहोंग ने कहा क प्रीमियम भारतीय प्रोडक्ट का चीनी बाजार में स्वागत है। चीनी राजदूत ने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध लाभदायक होंगे। व्यापार घाटे पर कहा कि चीन ने कभी जानबूझकर व्यापार अधिशेष को नहीं बढ़ाया है। यह बाजार की प्रवृत्ति और बदलती आर्थिक स्थितियों के कारण होता है। मगर हम भारत के साथ व्यापार घाटे क कम करने को तैयार हैं।चीनी राजदूत ने शी चिनफिंग के हवाले से कहा कि चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। यहां के विशाल मध्यम-आय वर्ग में निवेश और खपत की अपार संभावनाएं हैं।
भारतीय व्यवसायों को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वित्त वर्ष में भारत से चीन ने मिर्च, लौह अयस्क और सूती धागे का आयात किया। भारत भी क्रमाश: 17 प्रतिशत, 160 प्रतिशत और 240 प्रतिशत से अधिक निर्यात वृद्धि का गवाह बना। जू फेइहोंग ने इंटरव्यू में कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारत भी चीन की चिंताओं को गंभीरता से लेगा। चीन के उद्योगों के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और भेदभाव पूर्ण माहौल देगा। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियां चीनी खरीदारों और उपभोक्ताओं से जुडऩे के लिए चाइना इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो, चाइना- एशिया एक्सपो और चाइना इंटरनेशनल कंज्यूमर प्रोडक्ट्स एक्सपो जैसे प्लेटफार्मों का लाभ उठा सकती हैं।