RBI की रेपो रेट कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा, एक्सपर्ट्स ने गिनाए फायदे

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नई दिल्ली।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6% कर दिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में मॉनेट्री पॉलिसी कमेटी की 7 अप्रैल से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह कदम लोन की ईएमआई में राहत देगा और रियल एस्टेट सेक्टर को वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच और मजबूती प्रदान करेगा।

रेपो रेट में कमी से रियल एस्टेट को बढ़ावा: विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई द्वारा लगातार दूसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फैसला रियल एस्टेट सेक्टर के लिए प्रेरक है। रेपो रेट को 6.00% तक लाना एक दूरदर्शी कदम है, जो इस सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। ब्याज दरों में कमी से होम लोन सस्ते होंगे, जिससे ऋण लेना आसान होगा और आवासीय मांग में वृद्धि होगी।

रेपो रेट में कमी से रियल एस्टेट को बढ़ावा: विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में यह कटौती खरीदारों और निवेशकों के लिए बड़ा प्रोत्साहन साबित होगी। विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में, जहां किफायती और मध्यम कीमत वाले घरों की मांग अधिक है, वहां बिक्री में तेजी की संभावना है।

रेपो रेट में कमी से रियल एस्टेट को बढ़ावा: 6.00% की रेपो रेट से होम लोन लेने वालों को राहत मिलेगी, उनकी ईएमआई कम होगी और किफायती आवास की पहुंच बढ़ेगी। यह कदम आर्थिक सुधार का सकारात्मक संदेश देता है और उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाएगा। रियल एस्टेट, खासकर किफायती और मिड-सेगमेंट हाउसिंग में, इस फैसले से मांग और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। रेपो रेट में कटौती और बेहतर नकदी की स्थिति मिलकर हाउसिंग सेक्टर को गति देने में अहम भूमिका निभाएंगे।

रेपो रेट में कमी से रियल एस्टेट को बढ़ावा: डेवलपर्स और खरीदार दोनों को लाभ

विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई का यह निर्णय डेवलपर्स और घर खरीदने वालों दोनों के लिए लाभकारी है। डेवलपर्स को सस्ती ब्याज दरों से वित्तीय राहत मिलेगी, जिससे प्रोजेक्ट्स को पूरा करना आसान होगा और निर्माण लागत नियंत्रित रहेगी। दूसरी ओर, खरीदारों के लिए कम ईएमआई के कारण घर खरीदना अधिक किफायती और सुविधाजनक होगा। इससे खरीदारों का उत्साह बढ़ेगा और रिहायशी व व्यावसायिक रियल एस्टेट बाजारों में मांग में वृद्धि हो सकती है।


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