अंतरिक्ष में कैसे हैं दोनों स्पेसक्राफ्ट, क्यों नहीं हो पा रही डॉकिंग, इसरो ने जारी किया ताजा अपडेट

नईदिल्ली ।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बार-बार स्पैडेक्स मिशन की डॉकिंग को टालना पड़ रहा है। मगर अब इसरो ने एक बयान जारी कर बताया है कि दोनों छोटे अंतरिक्ष यान 230 मीटर की दूरी पर हैं और उनकी स्थिति सामान्य है। एक्स पर इसरो ने लिखा कि स्पैडेक्स को 230 मीटर की अंतर उपग्रह दूरी (आईएसडी) पर रोका गया। सभी सेंसर का मूल्यांकन किया जा रहा है। अंतरिक्ष यान सही एवं सामान्य हैं। स्पैडेक्स मिशन की डॉकिंग पहले 7 जनवरी को होनी थी। मगर इसरो ने इसे 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था। इसके बाद बुधवार यानी 8 जनवरी को दूसरी बार डॉकिंग को स्थगित करना पड़ा। इसकी वजह यह थी कि दोनों उपग्रह प्रक्षेपण के दौरान अपेक्षा से अधिक दूर चले गए थे। 30 दिसंबर को इसरो ने स्पैडेक्स मिशन को पीएसएलवी-सी60 से लॉन्च किया था। यह साल 2024 में इसरो का आखिरी मिशन था। 10 जनवरी को भी इसरो ने बयान में कहा था कि दोनों अंतरिक्ष यान 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। दोनों होल्ड मोड पर हैं। शनिवार सुबह तक 500 मीटर की दूरी तक पहुंचने की उम्मीद है।
स्पैडेक्स इसरो का एक महत्वाकांक्षी मिशन है। इसके माध्यम से अंतरिक्ष में दो छोटे अंतरिक्ष यानों को भेजा गया है। वहां इन दोनों यानों की डॉकिंग करवाई जाएगी। अगर इसरो का यह मिशन सफल रहा तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। मौजूदा समय में अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास है।डॉकिंग तकनीकी भारत के कई अन्य अंतरिक्ष मिशनों में काम आएगी। चंद्रयान-4 में भी इसका इस्तेमाल होगा। इसी की मदद से चंद्रमा की मिट्टी भारत लाई जाएगी। इसके अलावा भारत ने 2035 तक अंतरिक्ष में अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने का निर्माण लिया है। इस स्टेशन के निर्माण और संचालन में डॉकिंग तकनीकी का ही इस्तेमाल होगा। इसरो ने स्पैडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यानों को भेजा है। इसमें एक अंतरिक्ष यान एसडीएक्स 01 (चेजर) और दूसरा एसडीएक्स- 02 ( टारगेट) है।