छत्तीसगढ़ में कृषि के विकास के लिए मिलकर कार्य करेंगे कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान संघ

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रायपुर ।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान संघ, नई दिल्ली का ‘‘उच्च, सतत और समावेशी विकास के लिए कृषि का डिजीटलीकरण’’ विषय पर तीन दिवसीय 32वां वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देश भर के प्रमुख कृषि अर्थशास्त्री, नीति निर्माता एवं शोधकर्ता शामिल हुए। सम्मेलन में भारत में आगामी दो दशकों में कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली महत्वर्पूण चुनौतियों पर विचार मंथन किया गया और घटते संसाधनों तथा बढ़ती हुई उत्पादन मांगों के युग में कृषि में डिजीटलीकरण को बढ़ावा देने तथा नवाचार एवं तकनीकी आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने पर जोर दिया गया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान विभिन्न कृषि अर्थशास्त्रियों, विशेषज्ञों तथा शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों में कृषि के डिजीटलीकरण के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किये। कृषि अर्थशास्त्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर पोस्टर भी प्रदर्शित किये गये। कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान संघ द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर इन क्षेत्रों में संयुक्त रूप से अनुसंधान तथा अध्ययन कार्य करने पर सहमति व्यक्त की गई। छत्तीसगढ़ में कृषि के विकास के लिए भी साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई गई। समापन समारोह के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल को कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान संघ द्वारा संघ का आजीवन सदस्य मनोनीत किया गया। सम्मेलन के आयोजन सचिव तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. हुलास पाठक को संघ का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया।

सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. पी.एस. बिरथल ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने तक देश को अपनी बढ़ती जनसंख्या की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अभूतपूर्व दबावों को सामना करना पड़ेगा। जल, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों तथा जैव विविधता पर बढ़ते दबाव और उत्पादन मांगों के तेजी से बढ़ने के पूर्वानुमान के साथ कृषि क्षेत्र को इस अंतर को स्थायी रूप से पाटने के लिए परिवर्तनकारी रणनीति अपनाना होगा। समापन समारोह में कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान संघ के वरिष्ठा पदाधिकारी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशकगण, अधिष्ठातागण, वैज्ञानिक, शोधार्थी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।


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