परंपरागत गीतों से वातावरण हुआ छठमय, अस्ताचल सूर्य की पूजा आज


घाटों पर बेहतर व्यवस्था की समितियों ने, निगम ने दिखाया सरोकार
कोरबा। श्रद्धा, आस्था, भक्ति, सेवा और समर्पण के मिले-जुले रूप पूर्वांचल के छठ पर्व के लिए एक प्रकार से प्रतीक है और प्रेरणा भी। इसके साथ श्रम का भी अपना महत्व है। पर्व के अंतर्गत आज शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहले अघ्र्य दिया जाएगा। पर्व के लिए हर कहीं तैयारी हो गई है।
नगर निगम के स्वच्छता अमले के साथ-साथ पूर्वांचल से संबंधित लोगों ने अपनी समितियों के जरिए कोरबा नगर और उपनगरीय क्षेत्रों सहित कोलफील्ड्स वाले इलाके में इस पूजा के लिए घाटों पर आवश्यक तैयारी की। एक सप्ताह से इस दिशा में कोशिश शुरू की गई और पिछली शाम इसे अंतिम रूप दिया गया। जोर इस बात पर दिया गया कि घाटों में स्वच्छता की स्थिति बरकरार रहे और पानी निर्मल हो। प्रदूषण और अन्य संबंधित समस्याओं को दूर करने के साथ इन सभी क्षेत्रों में छठ उत्सव के लिए व्यापक प्रबंध किए गए। कोरबा में हसदेव सर्वमंगला घाट, राताखार, तुलसीनगर, पंपहाउस, एसईसीएल शिव मंदिर, मानिकपुर पोखरी, मुड़ापार तालाब, पोड़ीबहार तलाब, ढेंगुरनाला, बेलगरी घाट बालकोनगर, हसदेव बरॉज दर्री, जमनीपाली, सर्वेश्वर एनीकट प्रगति नगर, नीलागर घाट बांकीमोंगरा, अहिरन तट कटघोरा, माचाडोली के अलावा कोलफील्ड के रजगामार, कुसमुंडा, दीपका, सिंघाली, ढेलवाडीह, सरायपाली आदि इलाकों में छठ उत्सव को लेकर विशेष तैयारी की गई है। दो दिन पहले से ही छठ का वातावरण अंचल में खास रहा जो आज सुबह और भी व्यापक हो गया। मुख्य सडक़ों से लेकर कालोनियों और गली-मोहल्लों में विद्युत लता का आकर्षण बना रहा वहीं भोजपुरी के छठ गीतों का स्वर लोगों को रोमांचित करता रहा। इधर विभिन्न क्षेत्रों में छठ पूजा की सामाग्री की बिक्री भी जमकर रही। दीपावली के अंदाज में मिठाईयों की बिक्री भी आज कुछ ज्यादा रही। पूर्वांचल के साथ-साथ अनेक हिंदू संगठनों के द्वारा मुख्य मार्गों पर शुभकामना संदेश वाले फ्लैक्स और पोस्टर लगाए गए हैं। ये सब बता रहे हैं कि लघु भारत कोरबा के परिप्रेक्ष्य में छठ की महत्ता समय के साथ लगातार बढ़ रही है।


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