वर्षों पुरानी परंपरा को फिर से संजोने की कोशिश


नगरी।

छत्तीसगढ़ की लोककला, लोकगाथा, लोकगीत तथा लोकनृत्य राज्य के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति, समुदाय तथा नर-नारी से जुड़ी होती है। छत्तीसगढ़ राज्य अपने  समृद्धशाली संस्कृति के लिए गौरवशाली होता है। इसी कड़ी में सुवा नृत्य तथा गीत दीपावली पर्व के दौरान किया जाता है। सुवा नृत्य मुख्य रूप से गोड़ जनजाति के युवतियों द्वारा किया जाने वाला नृत्य  है ।
देवारी तिहार (गोवर्धन पूजा) के अवसर पर ग्राम मुकुंदपुर के मोहल्ला सड़कपारा के बच्चों द्वारा सुवा नृत्य किया गया। बच्चों के इस प्रयास से मोहल्लेवासी बहुत खुश हैं। विलुप्त होते लोकसंस्कृति को फिर से संवारने के लिए बच्चों ने बहुत सुंदर पहल किया है।
बता दें प्रसिद्ध माइक्रो आर्टिस्ट भानुप्रताप कुंजाम भी इसी मोहल्ले से आते हैं उन्होंने बताया कि हमारे मोहल्ले में कभी सुवा नृत्य नहीं किया गया लेकिन वर्षो पुरानी परम्परा को फिर से संजोने की कोशिश करते हुए पिछले वर्ष से मोहल्ले के बच्चियों द्वारा सुवा नृत्य किया जा रहा है जो प्रशंसनीय है। उन्होंने बच्चियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि नयी पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जुड़ने की जरूरत है तभी हमारी संस्कृति जीवित रहेगी।
गुंजेश्वरी नेताम, विद्या नेताम, मनीषा नेताम, भोमेश्वरी, अर्चना मरकाम तथा प्रियांशी छेदैया ने सुवा नृत्य करके सबका मनमोह लिया।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *