रायपुर।
शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर के स्वामी डॉक्टर इंदुभवानंद महाराज ने हरतालिका व्रत के बारे में बताया है। महाराज जी ने कहा कि भाद्र शुक्ल तृतीया को हरतालिका व्रत रहते हैं। लोगों में विभिन्न प्रकार की बातें हैं, इस हेतु सबको शास्त्री समाधान प्राप्त हो इसलिए ही यह जानना बहुत जरूरी है।
महाराज जी ने कहा कि 5 सितंबर को भाद्र शुक्ल पक्ष द्वितीया गुरुवार को समाप्त हो रही है और 10:45 बजे तृतीया तिथि प्रारंभ हो जाती है। हस्त नक्षत्र भी उस दिन प्रातः 8:20 मिनट तक रहेगा। शुक्रवार 6 सितंबर को ही हरतालिका पर्व मनाया जाएगा। निर्णय सिंधु के अनुसार तृतीया को ही हरतालिका व्रत माना जाता है। एक मुहूर्त मात्र भी तृतीया रहती है तो उस मुहूर्त को ग्रहण करना चाहिए,जो चतुर्थी से युक्त होती है। शुद्ध वही मानी जाती है जो कण योग्य हो अर्थात जो चतुर्थी से युक्त हो। चतुर्थी से जब तृतीया युक्त होती है तो उसमें व्रत करना चाहिए तो उसमें उत्तम फल की प्राप्ति होती है, जो तृतीया चतुर्थी से युक्त होती है वही सौभाग्य की रक्षा करने में समर्थ होती है। जो तृतीया द्वितीया से युक्त होती है इसे कभी नहीं करना चाहिए। चतुर्थी युक्त तृतीया हमको 6 सितंबर को प्राप्त हो रही है। 6 सितंबर को हरतालिका व्रत सभी लोगों को करना चाहिए।
महाराज जी ने कहा कि जब सखियों ने सती को हरण कर लिया तो सती ने जंगल में जाकर बालू से शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया। इस दिन तृतीया को उनका हरण हुआ था, इसलिए जो माता और बहने इस दिन रेत से शिव बनाकर और उनके साथ गौरी का पूजन करेंगे शीघ्र उन्हें सौभाग्य की वृद्धि होगी। पुत्र पौत्र आदि की प्राप्ति होगी और अनंत सुख की प्राप्ति होगी।
महाराज जी ने कहा कि एक बात ध्यान देना होगा कि आज के दिन 6 तारीख को ही चतुर्थी लग जाएगी। इस दिन जो सायं काल चंद्रोदय होगा तो आज के दिन चंद्रोदय का दर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि आज के दिन जो चंद्रोदय का दर्शन करता है उसको दोष लगता है। आज के दिन ही गणेशजी खेलते खेलते जब गिर गए थे तो चंद्रमा उनको देखकर के हंस दिए थे। तब गणेशजी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो आज चंद्रमा का दर्शन करेगा उसको दोष लगेगा। यदि ध्यान ना रहे और भूल से भी दर्शन हो जाए तो सयमन्तिक मणि की कथा सुनना चाहिए, इससे आप दोष मुक्त हो जाएंगे। इसलिए इस दिन सबको सतर्क रहना है और चंद्र दर्शन नहीं करना है। आज के चंद्रमा का सर्वप्रथम परित्याग कर देना चाहिए।
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