मोर मकान मोर आवास के तहत पंजीयन कराने वालों के डूबे 35-35 हजार रुपए, निगम को 52 लाख का नुकसान
रायपुर।
मोर मकान मोर आवास का सपना संजोने वालों में से कई गरीबों को बड़ा झटका लगा है। नगर निगम में पंजीयन कराने वाले ऐसे 150 लोगों से ज्यादा का 35-35 हजार रुपए पंजीयन के नाम पर डूब गया है। क्योंकि, उन्हें बैंकों से लोन नहीं मिलने के कारण निगम में जमा 52 लाख 50 हजार से ज्यादा पंजीयन राशि राजसात कर ली गई है।
गरीबों को झटका
निगम मुख्यालय में प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकारियों की बैठक में जब इस मामले का खुलासा हुआ तो नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे भड़क गईं। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना ग़रीबों को राहत देने के लिए है न कि उन्हें चोट पहुंचाने की। उन्होंने अधिकारियों से दो टूक कहा कि लोगों की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। मनमानी बंद करें।
नेता प्रतिपक्ष ने ली अधिकारियों की बैठक
इसी मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष मीनल ने पीएम आवास योजना के अधिकारियों और कर्मचारियों के एक साथ सोमवार को बैठक कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने आवास योजना में बिना पानी, बिजली और उखड़े प्लास्टर वाले मकानों को बेचने की प्रक्रिया बंद करने, आवास योजना के नाम पर गरीबों को परेशान करने और उनकी अमानत राशि जमा कराकर मकान नहीं देने पर सख़्त नाराज़गी जताई।
8500 मकानों में से 4 हजार मकानों को बेचा
बैठक में यह सामने आया कि मोर मकान मोर आवास योजना के तहत लगभग 8500 मकानों का आवंटन करना है, जिसमें लगभग 4000 मकानों को बेचा जा चुका है। चयनित हितग्राहियों को सरकार 3 लाख 25 हज़ार में मकान उपलब्ध करा रही है। निगम हितग्राहियों से पंजीयन राशि 35000 जमा करा लेता है और एक महीने के भीतर बाकी 2 लाख 90 हजार जमा करने कहा जाता है।
बैंकों के सांठगांठ से हो रहा खेल
अधिकारियों ने बताया कि मकानों के पंजीयन के दौरान 35-35 हजार रुपए जमा कराने का नियम है। इस दौरान बैंकों का अमला मौजूद रहता है। जब लोगों को लोन नहीं मिलता है तो पंजीयन राशि निगम में राजसात कर ली जाती है।