अनोखी परंपरा.. बाजा बजते ही इच्छाधारी नाग बन जाते हैं यहां के लोग, फिर कीचड़ में लोट कर करते हैं डांस


जैजैपुर।

नागपंचमी का पर्व शहर सहित जिले भर में पारंपरिक ढंग से मनाया गया। अंचल मेें शुक्रवार को नगमत, कुश्ती, दहिकांदो व कबड्डी प्रतियोगिता हुई। नगमत में लोग कीचड़ में सांप की तरह लेटने लगे।सुबह से ही नागदेव की पूजा-अर्चना की गई।

लोगों ने नागदेव का लिया आशीर्वाद

घर के आंगन व खेतों में दूध-लाई के दोने रखे गए। सपेरों ने नागदेव के दर्शन कराए। लोगों ने सपेरों को पैसे व दूध देकर नागदेव का आशीर्वाद लिया। ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी पर सांप के लिए दूध व लाई देने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। पुरानी बस्ती कहरापारा में नागदेव की पूजा-अर्चना सार्वजनिक रूप से की गई।

कीचड़ में लोट कर लोगों ने दी अपनी भक्ति का परिचय

यहां नगमत और दहिकांदो भी हुआ। कीचड़ में लोट कर लोगों ने अपनी भक्ति का परिचय दिया। बाद में बैगा द्वारा फुंकने के बाद नागदेव शांत होते है। ऐसी परंपरा नागपंचमी पर वर्षो से चली आ रही है। नागदेव की पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली गई। मांदर की थाप के बीच लोग भीमा तालाब पहुंचे, जहां पूजन सामग्री का विसर्जन किया गया।

इसी तरह गांव- गांव में नागदेव की पूजा के साथ नगमत और दहिकांदो का आयोजन हुआ। जैजैपुर से 27 किमी दूर कैथा में बिरतिया बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां हर साल नागपंचमी के दिन दर्शनार्थियों का मेला लगता है। नागपंचमी पर सुबह से ग्रामीणों की भीड़ मंदिर में उमड़ी। शाम तक मंदिर में पूजा-अर्चना का सिलसिला चलता रहा। दर्शनार्थियों ने मेले में लगी दुकानों में जमकर खरीददारी की।

दल्हा पहाड़ पर लगा मेला

अकलतरा से 5 किलोमीटर दूर स्थित दल्हा पहाड़ में नागपंचमी पर मेला लगा। मेले में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। प्राचीन काल से यहां मेला लगता है। इस मौसम में क्षेत्र का एकमात्र मेला होने से करीब 15 हजार लोग यहां पहुंचे। सुबह से ही नागपूजा कर ग्रामीण मेले में पहुंचने लगे थे। प्रवेश द्वार पर सूर्य कुंड के पानी से शुद्ध होकर भक्त पहाड़ पर चढ़े और पहाड़ के ऊपर मां भगवती मंदिर में पूजा-अर्चना की।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *