विक्षिप्त महिला रजिस्ट्री करने में अक्षम,अनुविभागीय अधिकारी एवं पंजीयक रजिस्ट्री कार्यालय को पक्षकार बनाया गया

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रायपुर।

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज आदिमजाति विकास कल्याण विभाग के सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 264वीं व जिला स्तर पर तीसरी सुनवाई हुई। बिलासपुर में आयोजित जनसुनवाई में आज कुल 11 प्रकरणों पर सुनवाई की गई।

आज कि सुनवाई के दौरान प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के खिलाप शिकायत किया है कि उनके कार्यालय में आकर डराते धमकाते व उनकी निजता को सोशल मीडिया में न्यूज चला रहे है,जिसकी शिकायत थाना गौरेला में किया जा सका उसे 155 का फैना दे दिया है उनके द्वारा कोर्ट में नहीं लगया गया है। आयोग में शिकायत किया है। अनावेदक ने बताया की ग्राम देवरगांव पंचायत का पंच है उनके गांव के स्वीकृत भुगतान की आवेदिका ने रोक लगाई थी जिससे संपूर्ण निमार्ण कार्य का चार माह तक भुगतान नही किया क्योंकि 1 प्रतिशत कमीशन की मांग आवेदिका के द्वारा किया गया जाता था। इसी के साथ अनावेदक ने आवेदिका के पूर्व विवाह व पूर्व पति का पेंशन लेने की शिकायत की जिसमें आवेदिका ने बताया की फरवरी 2014 में हुआ था। उसके दो माह बाद आवेदिका ने स्टेट बैंक शाखा सरकण्डा में पेंशन बंद करने व पूर्व विवाह की सूचना दिया था। आवेदिका ने यह भी बताया कि बैंक के द्वारा पेंशन बंद कर दिया है व विलंब से सूचना देने के कारण दो माह कि रिकवरी कर लिया गया है। आयोग के द्वारा प्रश्न पूछा गया कि उनके पूर्व पति जिस विभाग में कार्यरत थे उस विभाग को सूचना दिया क्या? आवेदिका का उत्तर था कि उसने विभाग को सूचना नही दिया है। पेंशन बैंक से मिलता है इसलिए सूचना बैंक को दिया है। विभाग को नही दोनो पक्षो की शिकायत एक दूसरे के खिलाफ बहुत सारी है लेकिन उस तथ्यों को सिलसिलेवार प्रस्तुत नही किया है इसलिए उनको एक मौका देकर कि सपूर्ण तथ्यों को सिलसिलेवार तैयार कर अगस्त 2024 में प्रस्तुत करें जिससे सितबंर में सुनवाई किया जा सकें। आगामी सुनवाई महिला आयोग रायपुर में किया जाएगा।

अन्य प्रकरण में दोनो आपस में देवरान-जेठानी के मामला था। दोनो का घर आस-पास था। अब 25 किमी दूर घर बनाकर एक दूसरे से अलग-अलग रहते अतः आपसी समझौत से आयोग के सामने प्रकरण समाप्त करने की बात कहने पर आयोग ने प्रकरण नस्ती बद्ध किया गया।

अन्य प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत किया उसका निराकरण नहीं किया है व आवेदिका से 3240/- रू वसूल लिया है। इसलिए आवेदिका अन्य लोगो की पार्टी बनाकर शिकायत प्रस्तुत करे। अनावेदक रिटायर हो चुकें है गौरेला में रहते है व उनके समझाइस दिया कि जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर लंबित प्रकरण का निराकरण करे ताकि आवेदिका भी मिलकर अपने शिकायत का निराकरण कर सकें। प्रकरण सुनवाई रायपुर रखा गया है।
अन्य प्रकरण में आवेदिका की पिछली सुनवाई में एडीएम नम्रता डोंगरे की अधिकृत किया था कि वह आंतरिक परिवाद समिति का गठन कर कार्यवाही कराये लेकिन आवेदिका ने उनके समक्ष आवेदन प्रव्तुत नही किया है। सुनवाई में उपस्थित डी.पी.ओ. अतुल परिहार ने बताया कि एडीएम मैम ने आंतरिक परिवाद समिति का गठन कर दिया है जिसमें आवेदिका को अपना आवेदन प्रस्तुत करना होगा। आवेदिका को समझाईस दिया कि डीपीओ की मदद से आंतरिक परिवाद समिति को पेश करे व आंतरिक परिवाद समिति छः माह के भीतर इस पर कार्यवाही सूचित करें। तब तक यह प्रकरण लंबित रहेगा।

अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उप आवेदिका ने बताया कि उसकी मां सावित्री बाई चतुर्वेदी मानसिक रोगी थी सेन्दरी के मेंटल हास्पिटल में भर्ती थी। मेरी नानी की संम्पति मां सावित्री बाई को मिला था 3 एकड़ 97 डिसमीन मेन रोड में था। शुरू से मां सावित्री बाई आवेदिका के साथ रहती थी। तभी अनावेदक जो कि उसके चाचा का लडका है और वह धोखे से आयेदिका की मां को अपने साथ ले गया और उन्हे गायब कर दिया। फिर 08.01.2024 को पूरी जमीन को अपने नाम पर बैनामा करा लिया है। तथा आज दिनांक तक छिपा कर रखा है। आवेदिका से नहीं मिलने दे रहा है। आवेदिका अपने माता-पिता के एकलौती संतान थी वह एक मात्र वारिस है। ऐसी दशा में अनावेदक का कथन है कि सम्पत्ति सुरक्षा के लिए रखा है यह वकतव्य हास्यास्पद है। उसका यह तो कथन है जमीन का 21 लाख रू० के आवेदिका के नाम बैंक में जमा किया है। परन्तु वह आज कोई दस्तावेज नहीं लाया है वह अनुविभागीय अधिकारी गौरेला को आदेश लेकर आया है। जिसमें आवेदिकागण ने विस्तरीत बयान के बावजूद निरस्त कर दिया गया है। यह आर्डर 01.07.2024 को पारित किया गया है। आवेदिका ने बताया कि उक्त जमीन की कीमत लगभग 03 करोड़ की जमीन है ऐसी दशा में आवेदिका की शिकायत गंभीर है और आवेदिका की मां की तस्वीर और शिकायत को देखने पर यह स्पष्ट है कि आवेदिका कि मां मानसिक रोगी महिला है उसकी सम्पत्ति की कार्यवाही करने वाली रजिस्टार गौरेला (रजिस्टर पंजीयन कार्यालय) को इस प्रकरण में बुलाना आवश्यक है। अतः इस प्रकरण के निराकरण के लिए जिला पंजीयन कार्यालय को इस प्रकरण में सुनवाई के लिए पक्षकार बनाया जाता है। वह आगामी सुनवाई विक्रेता सावित्री बाई, प्रशांत चतुर्वेदी (क्रेता) 08.01.2024 के समस्त दस्तावेज और सावित्री बाई को लेकर आयोग कार्यालय में उपस्थित है। दिनांक 09.08.2024 को प्रकरण आयोग के समझ उपस्थित रहे गौरेला पेण्ड्रा अनुविभागीय अधिकारी को 01.07.2024 पुष्पा देवी विरूद्ध प्रशांत चतुर्वेदी के समस्त दस्तावेज आयोग के समझ प्रस्तुत करने के लिए अनुविभागीय अधिकारी के पक्षकार बनाया। वह भी अपने समस्त फाईल और सावित्री बाई को लकर महिला आयोग रायपुर में 09.08.2024 को रायपुर पहुंचे। इस प्रकरण में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अतुल परिहार को अधिकृत किया जाता है कि आज की ऑर्डरशीट की प्रतिलिपि पंजीयक व अनुविभागीय अधिकारी गौरेला को प्रकरण से अवगत तथा दोनो जिम्मेदार अधिकारी को समस्त दस्तावेज के साथ महिला आयोग रायपुर में 09.08.2024 को आवश्यक रूप से उपस्थित रखे उन्हे सावित्री बाई की मानसिक रोगी होने की तस्वीर मोबाईल में दिखाने को कहा है प्रकरण आगामी सुनवाई 09.08.2024 को सुनवाई।

अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदक ने 2016 में अनावेदक के साथ नोटरी के समक्ष शादी किया है। अपनावेदक सोनमणि के साथ 2010 में शादी हुआ था। आवेदिका ने फेसबुक में अनावेदक को पसंद किया और गौरेला से दंतेवाडा मे जा कर शादी किया। जबकि उसकी पत्नी ने उसे बताया था कि अनावेदक पहले से शादीशुदा था। उस जानकार आवेदिका ने अनावेदक से विवाह कया था तथा दोनों पक्ष के बीच अनेक एग्रीमेंट है जिसमें दोनो की चाल बाजी समझ आता है।

आवेदिका ने यह भी बताया कि और एक महिला को रखा है जबकि अनावेदक ने यह बताया की यह शादी के पहले है। इस स्तर पर यह स्पष्ट है कि अनावेदक शासकीय सेवा में होने के बावजूद दूसरा विवाह किया और उसका एक संतान है प्रिंस 06 साल का है जिसका पिता अनावेदक है। अतः यह स्वष्ट है कि पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दुसरा विवाह किया है अतः आयोग की ओर से जिला एस.पी. दंतेवाडा को एक पत्र भेजा जाएगा।


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