छग को-ऑपरेटिव बैंक एप्लाईज फेडरेशन ने विधानसभा अध्यक्ष और सहकारिता मंत्री को सौंपा ज्ञापन,

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बिलासपुर।

प्रदेशभर के सहकारी बैंकों में पदस्थ कर्मचारियों ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को CEO बनाने के निर्णय का विरोध किया है। छग को-ऑपरेटिव बैंक एप्लाईज फेडरेशन ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह और सहकारिता मंत्री केदार कश्यप को ज्ञापन सौंपते हुए निर्णय वापस लेने का निवेदन किया है।

ज्ञापन के माध्यम से फेडरेशन ने आरोप लगाया है की सहकारिता विभाग के कुछ अधिकारी विभागीय मंत्री को भ्रामक जानकारी देकर अपने अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने का प्रयास कर रहे है। जबकि जिला सहकारी बैंकों में केवल एपेक्स बैंक के अधिकारियों को ही प्रतिनियुक्ति पर रखा जा सकता है। सहकारिता विभाग सहकारी बैंकों को घुन की तरह खोखला करने के लिए लगातार षड़यंत्र किया जा रहा है। सहकारिता विभाग अपने विभागीय अधिकारियों को सहकारी बैंक में CEO के पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजने का प्रयास किया जा रहा है। जो पूर्णतः अवैधानिक एवं विधि-विरूद्ध है। क्योंकि सहकारी बैंक कर्मचारी सेवा नियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही सहकारी अधिनियम में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में अपेक्स बैंक के कैडर अधिकारी की ही प्रतिनियुक्ति होगी। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने भी आदेश 4 मार्च 2020 को एक आदेश में सहकारी बैंकों में कैडर अधिकारी को ही प्रतिनियुक्ति पर रखने का स्पष्ट आदेश दिया है। फेडरेशन ने ज्ञापन के माध्यम से जानकारी दी है की प्रदेश में सहकारिता के तहत मार्केटिंग सोसायटी, बुनकर समिति, उपभोक्ता भंडार, सहकारी गृह निर्माण समिति कार्यरत थीं, जो अधिकारियों की गलत कार्य प्रणाली के कारण घाटे में आकर बंद हो चुके हैं। वर्तमान का ज्वलंत उदाहरण प्रदेश की सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा, पंडरिया, अंबिकापुर एवं बालोद हैं, जिनमें मुख्य कर्ताधर्ता सहकारिता विभाग के अधिकारी हो हैं, जो आज राज्य सरकार के लिए सफेद हाथी हो गये हैं। सभी कारखानों की औसत हानि 50 से 80 करोड़ रूपये सालाना है। सबको मिलाकर आज दिनांक तक लगभग 800 से 1000 करोड़ की हानि इन सहकारी शक्कर कारखानों के माध्यम से राज्य सरकार एवं NCDC को उठानी पड़ रही है। इसका मुख्य कारण है सहकारिता विभाग के अधिकारियों का भ्रष्टाचार और कारखाना चलाने संबंधी तकनीकी ज्ञान का अभाव है। सहकारिता अधिकारियों की अक्षमता एवं अनुभवहीनता के परिणामस्वरूप सभी संस्थान बंद हो चुके हैं, जिससे शासन को आर्थिक हानि हुई है। सहकारी बैंक कोऑपरेटिव्ह एक्ट के नियमों के तहत संचालित होता है। एक्ट में भी स्पष्ट उल्लेख है कि जिला सहकारी बैंकों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर अपेक्स बैंक के कैडर अधिकारी ही प्रतिनियुक्ति पर भेजे जायेंगे। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी सहकारी बैंकों के CEO/MD की नियुक्ति व हटाने के पूर्व RBI से अनुमति जरूरी कर दिया है। इस निर्देश में बैंकिंग क्षेत्र में 10 वर्ष के कार्य अनुभव सहित निर्धारित योग्यता होने पर ही सहकारी बैंकों के CEO/MD के पद पर नियुक्त करने का उल्लेख है। भारतीय रिजर्व बैंक के उक्त निर्देश के तहत सहकारिता विभाग के किसी अधिकारी को बैंकिंग क्षेत्र में कार्य का कोई अनुभव नहीं है। ऐसी दशा में ऐसे अनुभवहीन अधिकारी को सहकारी बैंकों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर प्रतिनियुक्त किया जाना उचित नहीं होगा। फेडरेशन ने यह भी कहा है कि प्रदेश का सहकारिता विभाग सहकारी बैंकों में राज्य शासन के अंश होने को अपनी प्रतिनियुक्ति का आधार बना रहा है, जबकि सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में केन्द्र सरकार का 51 प्रतिशत से अधिक अंश होने के बावजूद केन्द्र सरकार के विभाग का कोई अधिकारी इन बैंकों के CMD या अध्यक्ष पद पर नियुक्त नहीं किया गया है। जबकि प्रदेश के सहकारी बैंकों में राज्य शासन का औसतन 5 से 10 प्रतिशत अंश ही अधिकतम हैं। प्रदेश के सहकारी बैंक केन्द्र एवं राज्य शासन की कृषि से संबंधित सभी योजनाओं का कियान्वयन करती है। प्रदेश के धान खरीदी, पीडीएस सहित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे महत्वपूर्ण एवं सामयिक महत्व की शासकीय योजनाओं का सफलतापूर्वक कियान्वयन सहकारी बैंकों के माध्यम से किया जाता है। साथ ही बैंकिंग कार्य एक संवेदनशील व तकनीकी कार्य है एवं वर्तमान में प्रदेश के सभी सहकारी बैंक कम्प्यूटरीकृत प्रणाली पर कोर बैंकिंग सिस्टम पर संचालित हैं। जहाँ राष्ट्रीयकृत बैंकों की भाँति मोबाईल बैंकिंग, NEFT/RTGS, ATM सहित सभी आधुनिक बैंकिंग सुविधाओं का लाभ किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बैंकिंग कार्यों का कोई भी अनुभव सहकारिता विभाग के अधिकारियों को नहीं है। ऐसी स्थिति में किसानों व आम जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं एवं उनके हजारों करोड़ की धरोहर राशि को सहकारिता विभाग के अनुभवहीन अधिकारियों को सौंपा जाना पूर्णतः नियम विरूद्ध एवं अवैधानिक होने के साथ-साथ अप्रासंगिक भी है।सहकारिता विभाग के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर प्रदेश के सहकारी समितियों में प्राधिकृत अधिकारी के रूप में भेजे गये हैं, जहाँ धान खरीदी में मिली भगत करके हजारों विंवटल धान की कमी के साथ ही लाखों-करोड़ों के गबन की घटना प्रकाश में आ रही है। ऐसी स्थिति में सहकारिता विभाग के अधिकारियों को सहकारी बैंकों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाना आत्मघाती कदम होगा एवं सहकारी बैंकों के अस्तित्व के लिए संकट खड़ा हो जाएगा। इसलिए सहकारिता विभाग के अधिकारियों को सहकारी बैंकों में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगावें एवं भविष्य में इस तरह के षड़यंत्रपूर्वक किसी भी कृत्य को रोकने हेतु कठोर निर्देश जारी कर प्रदेश के सहकारी आन्दोलन को मजबूत दिशा देते हुए प्रदेश के किसान हित में सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने का अनुरोध फेडरेशन ने विस अध्यक्ष और सहकारिता मंत्री से की है।


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