कृषको को खरपतवार नियंत्रण हेतु कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर की सलाह

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जांजगीर। खरीफ धान की बुवाई/ रोपाई का कार्य जिले में प्रगति पर है l धान की फसल में खरपतवार, बीमारी एवं कीट से होने वाले नुकसान से फसल को बचाकर भी उत्पादन को 30 से 35% बढ़ाया जा सकता है l फसलोंत्पादन में सर्वाधिक नुकसान खरपतवारों से होता हैl खरपतवार वे अवांछित पौधे होते हैं जिनकी निश्चित स्थान व समय पर आवश्यकता नहीं होती है और बिना बोये उग जाते हैं जिनसे लाभ की तुलना में हानी अधिक होती है क्योंकि खरपतवार फसल के साथ पोषक तत्व, जल, स्थान, प्रकाश आदि के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं l विभिन्न फसलों में खरपतवारों से 30 से 35% कीटों से 20 से 25% एवं बीमारियों से 15 से 20% तक नुकसान आंका गया है l कृषकों को खरपतवार नियंत्रण हेतु सलाह दी जाती है कि विभिन्न खरपतवार नाशी का प्रयोग कर खेत को खरपतवार मुक्त रखें ।

अंकुरण पूर्व उपयोग किए जाने वाले खरपतवार नाशी

1) पायरेजोसल्फ्यूरान इथाइल 10 % डब्ल्यूपी (साथी ,ओजीका , प्रॉपर्टी आदि के नाम से उपलब्ध) का उपयोग नरजवा, गेगरूवा घास एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण हेतु बोता धान में 0 से 3 दिन बुवाई पश्चात 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें ।

2) प्रेटीलाक्लोर 6% + बेनसलफयूरान इथाइल 0:6 %दानेदार खरपतवार नाशी( फोरेंसिक,बेनिटिला) का उपयोग सकरी पत्ती वह चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण हेतु बोता धान में 0 से 3 दिन बुवाई पश्चात 4 किलो प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें ।

3)ऑक्साडायजिल 6% ईसी (राफ्ट, टॉप स्टार आदि के नाम से उपलब्ध) खरपतवार नाशी का उपयोग सावा चूहका नरजवा एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे चुनचुनिया मिर्चीबन इत्यादि हेतु बुवाई पूर्व 0 से 3 दिन पश्चात में 600ml दवा प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें ।

अंकुरण पश्चात खरपतवार नासी का प्रयोग :

1) पायरेजोसल्फ्यूरान इथाइल 10% डब्ल्यूपी खरपतवार नासी का प्रयोग अधिकतर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे चुनचुनिया, कौवाकेनी , तीनपत्तियां जलकुंभी एवं सकरी पत्ती वाले जैसे सावा मोथा नरजवा इत्यादि हेतु बुवाई या रोपा के 5 से 10 दिन पश्चात 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।

2) बीसपायरीबैक सोडियम 10% एससी (नॉमिनी गोल्ड एडोरा आदि के नाम से उपलब्ध) खरपतवार नासी का प्रयोग सभी प्रकार के खरपतवार जैसे मोथा नरजवा, बंदरपुछिया, मिर्ची वन भेगरा, सावा बदौरी आदि के नियंत्रण हेतु बुवाई रोपाई के 20 से 25 दिन बाद 100ml प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें ।

3) पेनोक्सुलम 21.7% एससी ( पिनाकसा , ग्रेनाइट, गेमेकजोन आदि के नाम से उपलब्ध)खरपतवार नासि का उपयोग अधिकतर घास कूल के सकरी पत्ती वाले खरपतवार एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे चुनचुनिया कौवाकेनी आदि जल पर तैरने वाले खरपतवार नियंत्रण हेतु 37.5 एम एल प्रति एकड़ की दर से बुवाई या रोपाई के 12 से 18 दिन पश्चात उपयोग करें ।

4) फिनोक्साप्रोप पी ईथाईल 9.3% ईसी ( वहीप सुपर, जुपिटर , पयूमासुपर इत्यादि उपलब्ध) खरपतवार नासी का उपयोग सकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे सावा शोभना इत्यादि हेतु बुवाई या रोपाई के 20 से 25 दिन बाद 320 से 400ml प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें ।

5) सायहेलोफाप ब्यूटाइल 10 एसी (क्लींचर, रेपअप, इत्यादि के नाम से उपलब्ध ) खरपतवार नाशी का प्रयोग सावा ,शोभना इत्यादि नियंत्रण हेतु बुवाई व रोपाई के 15 से दिन पश्चात 300 से 400 एम एल प्रति एकड़ के दर से उपयोग करें।

सावधानियां:

खरपतवार नाशी का प्रयोग अनुशंसित मात्रा में ही सही समय पर करें ।

फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें ।

पर्याप्त नमी की उपस्थिति में ही छिड़काव करें ।

प्रति एकड़ 200 लीटर पानी का इस्तेमाल करें ।

छिड़काव करते समय हवा की दिशा का ध्यान रखें एवं बारिश का ध्यान रखें।

 


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