नारी शक्ति: शादी के 28 साल बाद थामी कलम और शुरू हो गया साहित्य का सफर


 

छत्तीसगढ़।

शादी के 28 साल बाद जब छोटे बेटे ने हाथ में कलम देकर साहित्य लेखन की शुरुआत के लिए कहा तो मन उत्साहित हो गया। साहित्य का सफर कई प्रदेशों तक गया। छत्तीसगढ़ के नामी साहित्यकारों में शुमार दुर्ग की सरला शर्मा के लेखन का सफर आसान तो नहीं रहा, लेकिन उम्र के दूसरे पड़ाव पर लेखन की शुरुआत ने उन्हें पहचान दिलाई। उनकी किताबें छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती हैं।

छत्तीसगढ़ी के साथ ही वह हिंदी और बांग्ला भाषा में भी लिखती हैं। वह बताती हैं कि बांग्ला का ज्ञान उनके पिता से मिला। जांजगीर में उनके पिता बांग्ला पत्रिका ‘शनिवारेय चिठी’ के संपादक थे और बचपन से ही बांग्ला किताबों को पढ़कर उन्हें लेखन भी आ गया। सरला बताती हैं कि बचपन में एक बार कविता लिखी थी। शादी के बाद गृहस्थी में रम गई। वर्ष 2003 में शुरू लेखन का कार्य आज भी चल रहा है।

लेखिका सरला शर्मा के पिताजी पंडित शेषनारायण शर्मा शील भी बड़े साहित्यकार रहे। इस कारण लेखन के संस्कार तो उन्हें विरासत में मिल गए थे, लेकिन मौका नहीं मिला और जब अवसर मिला तो ऐसा लिखा कि छत्तीसगढ़ी के साथ ही हिंदी और बांग्ला में भी अपनी छाप छोड़ी और आज प्रदेश में वह नामी साहित्यकारों में गिनी जाती हैं।

पद्म विभूषण तीजन बाई के जीवन पर लिखी गई किताब पंडवानी और तीजन बाई सरला शर्मा ने ही लिखी। तीजन बाई पर पीएचडी कराने वाले कई विवि में उनकी किताब शोधार्थी उपयोग कर रहे हैं। यह भी उनकी बड़ी उपलब्धि रही। पं. रविशंकर शुक्ल विवि के एमए हिन्दी कोर्स में उनका लिखा छत्तीसगढ़ी उपन्यास माटी के मितान कोर्स में शामिल है जबकि कर्नाटक विवि ने उनके निबंध संग्रह को स्नातक कोर्स में शामिल किया है।

वनमाला अंतिम कविता संग्रह

सरला बताती हैं कि जब लिखना शुरू किया तो एक साल में ही उन्होंने तीन किताबें लिखीं, जिसमें वनमाला उनका पहला व आखिरी कविता संग्रह बना, जबकि संस्मरण सुरता के बादल छत्तीसगढ़ी में लिखी। उनकी 6 छत्तीसगढ़ी, 7 हिन्दी और एक बांग्ला भाषा में किताब प्रकाशित हो चुकी हैं।

आत्मविश्वास ने आगे बढ़ाया

मेरा साहित्य स्त्री विमर्श प्रधान: सरला कहती हैं कि सोशल मीडिया के दौर में गद्य उपेक्षित हो रहा है। कविता भाव प्रधान है, लेकिन गद्य भावनाओं को एक दूसरे तक न सिर्फ पहुंचाते हैं, बल्कि दिलों में घर कर जाते हैं। उनका साहित्य स्त्री विमर्श प्रधान है।

हिंदी …कृतियाँ
1 .वनमाला ( कविता संग्रह ) 2 .बहुरंगी ( निबंध संग्रह ) 3 . कुसुम कथा ( उपन्यास ) 4.पंडवानी और तीजन बाई ( व्यक्ति चित्र ) प्रथम संस्करण 2006 , द्वितीय संस्करण 2019 ….. 5 . सत्यं वद ( कहानी संग्रह ) 6 .दुबे दास्तां ( दुबे परिवार का रतनपुर छत्तीसगढ़ आगमन कथा )
छत्तीसगढ़ी ….
1 .सुरता के बादर ( संस्मरण ) 2 .माटी के मितान ( उपन्यास ) रवि शंकर विश्व विद्यालय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल
3 .सुन संगवारी ( कविता , कहानी , लेख ) 4 .आखर के अरघ ( गद्य की समस्त विधाओं पर लेख ) 6 . लोक कथाएं ( बांस अउ चंपा , केंवट के बेटी ) 7 . पंडवानी अउ तीजन बाई ( बाल साहित्य )
बांग्ला …..छड़ा ( बाल साहित्य )
सम्पादन …..1 रश्मि ( विद्यालयीन पत्रिका )
2 . त्रिभाषा ( हिंदी , छत्तीसगढ़ी , पंजाबी )
3 . आशीर्वाद ( वरिष्ठ नागरिक संघ )
सम्प्रति …आकाशवाणी , दूर दर्शन से संलग्न , स्वतंत्र लेखन


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