कुरूद अनुविभाग राजस्व क्षेत्र में रेत की चोरी और कालाबाजारी पूरे जोरों से चल रही हैं


कुरूद । कुरूद अनुविभाग राजस्व क्षेत्र में रेत की चोरी और कालाबाजारी पूरे जोरों पर है रेत माफिया और रेत तस्कर रेत माफिया कहे जाने वाले लोग शासन को लाखों रुपए का चूना लगाकर अपनी और अधिकारियों की जेब गर्म कर रहे हैं । जिस पर ना ही तो जिम्मेदार अधिकारी कोई ध्यान देते हैं और नहीं क्षेत्र के जनप्रतिनिधि जिसके कारण महानदी से रेत के साथ साथ मिट्टी और पत्थर तक की खुदाई हो रही है। रेत तश्कर एनजीटी के नियमों को दरकिनार कर कुरूद से कुछ किलोमीटर दूर बहने वाली महानदी किनारे के गांवों में बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन बेरोकटोक के जारी है। सत्ता बदलने के बाद लाभार्थी के चेहरे बदले लेकिन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया। कल तक जो इस गोरखधंधे की आलोचना करते थे वे ही आज इस सिस्टम से जुड़ गए हैं। और प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता है, जिससे रेत माफियाओं की संख्या नित्य प्रति दिन बढ़ी जा रही है।
विदित हो कि कुरूद व मगरलोड तहसील के नदी किनारे बसे गांवों से सत्ता से जुड़े लोगों का संरक्षण पा रेत माफिया एनजीटी के नियम कायदों को ताख में रख बेदर्दी से नदी का सीना छलनी कर रहे हैं। 10 जून से रेत उत्खनन में प्रतिबंध लगा होने के बावजूद परखंदा सरगी सोनेवारा,लडे़र, मोहरेंगा की खदान से बेरोकटोक रेत उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। इसके अलावा मेघा महानदी पुल के नीचे से लेकर नारी, सौंगा, छोटी एवं बड़ी करेली, राजपुर आदि गांवों से ट्रेक्टरों से निकाल अवैध भंडारण किया जा रहा है। कुछ इसी तरह का काम ग्राम पंचायत परखंदा में भी चल रहा था, तब वहां के ग्रामीणों ने पिछले दिनों उग्र प्रदर्शन करने हुए कुरुद के एक नेता पर रेत माफिया को संरक्षण देने का खूला आरोप लगाया था। थाना पहुंचे ग्रामीणों ने अवैध रेत निकासी बंद करने की मांग उठाई थी। तब से यहां उत्खनन नहीं हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि अंधाधुंध खुदाई से नदी के इस किनारे के मंदरौद,सेलदीप, जोरातराई, बारना, सिरसिदा, गुदगुदा, कठौली, चारभाठा, गाड़ाडीह, मेघा की खदान खाली हो गयी है। बताया गया है कि बरसात में निर्बाध रेत तस्करी करने के इरादे से खनिज माफिया द्वारा मंदरौद से छोटे करेली तक नदी के बीच में पाइप डाल कर नया रेम्प बनाया जा रहा है। एनजीटी के नियमों को दरकिनार कर रेत खनन करने से पर्यावरण की बिगड़ती हालत का असर नगर की पेयजल आपूर्ति पर पड़ा है। रेत उत्खनन के लिए एनिकट का पानी बहा देने से करीब 25 करोड़ की जल आवर्धन योजना बेकार सिद्ध हो रही है। जिसको लेकर नपं की बैठक में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने नया प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा है। तिहारु, रामदेव, हेमलाल,पंचम सहित आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि रेत निकालने के लिए नदी के बीच में बडे बड़े पाइप डालकर कई जगह कच्चे पुल बना नदी की धारा बदल दी गई है। नदी की प्राकृतिक बहाव बदलने एवं दिनरात हो रही खुदाई के चलते इलाके के सैकड़ों सब्जी उत्पादक किसानों ने नदी में फ़सल लगाना बंद कर दिया है। जिससे उन परिवारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। इस बारे में माइनिंग अधिकारी से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *