ईंट निर्माण कार्य ने महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की राह खोली

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दंतेवाड़ा ।

लगन सही हो तो आत्मनिर्भरता की राह स्वयं ही खुल जाती है। इस बात को जिला मुख्यालय के गीदम विकासखंड अंतर्गत 30 से 35 किलोमीटर दूरी पर हिड़पाल पंचायत में ग्राम माँ गौरी स्व.सहायता समूह की महिलाएं चरितार्थ कर रहीं हैं। सुदूर वनक्षेत्र में निवासरत ये ग्रामीण महिलाएं आज सीमेंट ईट बनाने जैसा श्रम साध्य कार्य को अंजाम देने में जुटी है। इस संबंध में पर 4.5 पुरूष मिस्त्रियों ने महिलाओं का इस काम में सहयोग करते हुए ईट बनाने के तैयारी के संबंध में समझाया फिर उन्हें ईट मशीन संचालन करनाए रेतए डस्ट में सिमेंट की मात्रा की मिलावट के बारे में जानकारी दी। इस तरह 10 महिलाओं ने शुरूआती दौर में  500 ईंट निर्माण की तैयारी की। ईट निर्माण की प्राथमिक जानकारी मिलने से महिलाओं को सबसे बड़ा  लाभ यह होगा कि  आने वाले समय पर वे स्वयं मशीन ऑपरेट कर सकेगी। इस संबंध में मॉ गौरी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने इसे अब अपनी आजीविका का साधन बनाने का मन बना लिया हैं। ज्ञात हो कि राज्य सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास निर्माण को प्राथमिकता दिए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट की मांग बढ़ गई है। ईंट निर्माण से जुड़ी मॉ गौरी स्व.सहायता समूह की  कमला कुर्राम का इस संबंध मे कहना है कि ईंट निर्माण कार्य से जुड़ कर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है और काफी खुशी भी हो रही क्योंकि हमें कुछ नया सीखने को मिल रहा है।

इस समूह के अन्य सदस्य  तुलसी कश्यप ने बताया कि शुरूआत में निःशुल्क डस्ट एवं सीमेंट जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया। ईंट बनाने के सांचे भी उन्हे राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत प्राप्त हुए हैं। साथ ही ईंट बनाने के लिए प्रशासन की ओर से उन्हें  प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। इसके लिए वह जिला प्रशासन के आभारी है। आने वाले समय पर रेतीए डस्ट एवं सीमेंट की खरीदी का पूरा दारोमदार समूह पर रहेगा। समूह की अन्य महिला  मंगलदई ने आगे और जानकारी देते हुए कहा कि मां गौरी स्व सहायता समूह के द्वारा बैंक से 3 लाख रूपये का ऋण भी लिया गया है। पहले हम सभी महिलाएं लाल ईंट निर्माण कार्य से जुड़ी हुई थी जिसमें मिट्टी को सान कर अच्छे से मिलाकर ईंट बनाया जाता था। अभी इस में फर्क इतना ही है कि मशीन के रेतीए डस्टए सीमेंट तीनों  पदार्थों  को एक साथ मिक्सर मशीन में डाल कर घुमाया जाता है और जिससे मिक्स होने के बाद उसे ईंट बनाने वाले मशीन में डाला जाता है। जिससे एक बार में 10 ईंट बन कर निकलती है। अंततः यह निष्कर्ष निकालता है कि ईंट निर्माण के माध्यम से महिलाओं के लिए स्वरोजगार की एक और राह खुल गई है। इस प्रकार अब जिले की हर एक ग्रामीण महिला शासन की महत्वाकांक्षी लखपति दीदी योजना के तहत लखपति दीदी बनने का सपना साकार कर सकती है।


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