महू की ऐतिहासिक विरासत को मिट्टी में न मिलाया जाए

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मुंबई

महू शहर की आर्मी पब्लिक स्कूल की पुरानी बिल्डिंग जो के कईं मायनो में शहर के लिए एक धरोहर है, जिसे सहेजने हेतु हम प्रयासरत हैं। चूंकि ये बिल्डिंग द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश मेडिकल हॉस्पिटल के रूप में उपयोग की गई है, आर्किटेक्चर दृष्टिकोण से ये बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये हमेशा से आर्मी की महत्वपूर्ण हेरिटेज बिल्डिंग रही है। पूर्व में इसके सामने एक हेरिटेज बिल्डिंग लिखा हुआ बोर्ड लगा हुआ था, जिसे कुछ समय पहले हटा दिया गया।

यह बिल्डिंग आज भी इंजीनियरिंग दृष्टि से सशक्त है। 1856 में निर्मित इस बिल्डिंग का उपयोग लंबे समय तक आर्मी हॉस्पिटल के रूप में हुआ। उसके बाद 1953 में आर्मी सिंगल्स कोर की ट्रेनिंग के लिए इस इमारत को हेडक्वार्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया। उसके बाद 1994 से आज तक इसे आर्मी पब्लिक स्कूल के रूप में जाना जाता है। यह इमारत इको फ्रेंडली तकनीक से बनी है जिसमें कमरे गर्मी में ठंडी और सर्दी में गर्म रहते हैं। 18 वीं सदी की यह दो मंजिला इमारत में तीसरी मंजिल के लिए भी छत छोड़ी गई थी। जो उस समय की आर्किटेक्ट तकनीक का बेहतरीन नमूना है क्योंकि उस समय दो मंजिला इमारतें भी कम ही बनती थीं। उस समय भारत में केवल दो शव गृह(मरचूरी) थे, एक मुंबई हॉस्पिटल और एक महू की इस इमारत में। इसकी दीवारें अब भी बहुत मजबूत है

पुरातात्विक दृष्टि से यह इमारत महत्वपूर्ण है आर्मी द्वारा इसे हेरिटेज माना जाता है। तब इसे या इसमें उपयोग की गई सामग्री को न तो बेचा जा सकता है और ना ही इसे गिराया जा सकता है। साथ इसका अभी तक भी कोई भी भाग ऐसा जर्जर नहीं हुआ है, जिसे तोड़ा जाना महत्वपूर्ण हो। चूंकि ये बिल्डिंग काफी पुरानी है, इसलिए पूर्व छात्रों एवं हमारे शहर महू की महत्वपूर्ण धरोहर है जिसे शहर हित में सहेजे जाने की आवश्यकता है। इस विषय में ठोस कदम उठाकर इस इमारत को नहीं तोड़ा जाना चाहिए और इस हेतु संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देना तय हुआ है । उचित कार्यवाही नहीं होने की दशा में पी आई एल भी लगाई जाने का निर्णय लिया गया। इस अवसर परसंस्थाओं के नाम रोटरी क्लब, सामाजिक विचार मंच, वैश्य समाज, इनरव्हील क्लब, सर्व ब्राह्मण महिला मंडल, सिंग फॉर ए कॉस, लायनेस चांदनी क्लब, बाबा अमरनाथ यात्रा ग्रुप और आइडियल ग्रुप, हम फाउंडेशन शाखा महू के प्रतिनिधि मौजूद रहे।


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