करेले की खेती से किसान बनेंगे मालामाल, जानें बुवाई से लेकर तुड़ाई तक का पूरा प्रोसेस

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 किसान कम समय में अधिक कमाई के लिए सब्जियों की खेती करना पसंद करते हैं और इसमें सफल भी होते हैं. इनमें से एक करेला भी है, जिसकी मांग मार्केट में हमेशा ही देखने को मिलती है. इसका भाव भी काफी अच्छा मिल जाता है, किसान करेले की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.

 भारत के किसान पारंपरिक फसलों खेती से हटकर सब्जियों की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. किसान कम समय में अधिक कमाई के लिए सब्जियों की खेती करना पसंद करते हैं और इसमें सफल भी होते हैं. इनमें से एक करेला भी है, जिसकी मांग मार्केट में हमेशा ही देखने को मिलती है. इसमें विटामिन A, B और C काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है. करेले में आयरन, मैग्नीज, कैरोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, बीटाकैरोटीन, लूटीन, जिंक आदि जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं. करेले का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह एक औषधीय गुणों से युक्त है. बाजारों में इसका भाव भी काफी अच्छा मिल जाता है, किसान करेले की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
करेले की खेती के लिए उपयुक्त मिट्‌टी
करेले की खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त बलुई दोमट मिट्टी को माना जाता है. इसके अलावा, नदी के किनारे पाए जाने वाली जलोढ़ मिट्टी को भी करेले की खेती के लिए अच्छा माना जाता है.करेले की खेती के लिए उपयुक्त तापमान

करेले की खेती करने के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 20 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा, करेले के खेतों में नमी बनाए रखना भी काफी जरूरी होता है.करेले की उन्नत किस्में

भारत में करेले की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, किसान इन किस्मों का चयन अपने क्षेत्र के अनुसार करते हैं. यदि हम करेले की उन उन्नत किस्मों की बात करें जो ज्यादा प्रचलन में है, तो इनमें – पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कल्याणपुर बारहमासी, कोयम्बटूर लौंग, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हरा, अर्का हरित, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, सोलन सफ़ेद, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना और पूसा शंकर-1 आदि उन्नत किस्में शामिल हैं.

करेले की खेती के लिए सही समय

किसान करेले की खेती साल के 12 महीने कर सकते हैं, क्योंकि वैज्ञानिकों ने इसकी ऐसी हाईब्रिड किस्में को विकसित कर दिया है, जिनकी खेती किसान साल भर कर सकते हैं. गर्मी में जनवरी से मार्च तक इसकी बुआई की जा सकती है, वहीं मैदानी इलाकों में बारिश के मौसम में करेले की बुवाई जून से जुलाई तक की जा सकती है, जबकि पहाड़ियों इलाकों में करेले की बुवाई मार्च से जून तक की जा सकती है.

करेले की बुवाई का सही तरीका

  • करेले की बुवाई करने से पहले किसानों को खेती की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए.
  • बुवाई से एक दिन पहले बीजों को एक दिन के लिए पानी में भिगोना कर रख देना चाहिए.
  • अब पाटा लगाकर इसके खेत को समतल कर लेना चाहिए.
  • इसके खेतों में किसानों को लगभग 2-2 फीट पर क्यारियां बना लेंनी चाहिए.
  • अब इन क्यारियों में लगभग 1 से 1.5 मीटर की दूरी पर इसके बीजों की रोपाई कर देनी चाहिए.
  • किसानों को करेले के बीजों को खेत में लगभग 2 से 2.5 सेमी की गहराई पर रोपाई करनी चाहिए.
  • अब खेत में 1/5 भाग में नर पैतृक और 4/5 भाग में मादा पैतृक की बुवाई करनी चाहिए, इसकी बुआई अलग-अलग खंडों में करनी चाहिए.
  • किसानों को इसके पौध की रोपाई करते समय नाली से नाली की दूरी लगभग 2 मीटर रखनी चाहिए.
  • वहीं पौधे से पौधे की दूरी लगभग 50 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए.
  • इसके अलावा नाली की मेढों की ऊंचाई लगभग 50 सेंटीमीटर तक किसानों को रखनी चाहिए.

करेले के खेतों की सिंचाई
करेले की पसल को कम ही सिंचाई की आवश्यकता होती है, बस इसके खेत में नमी का बना रहना बेहद जरूरी होता है. इस नमी को बनाए रखने के लिए किसान हल्की सिंचाई कर सकते हैं. इसके अलावा, जब इसकी फसल में फूल व फल बनने लगे, तो हल्की सिंचाई करनी चाहिए. लेकिन सिंचाई करते वक्त किसानों को ध्यान देना होता है कि इसके खेत में पानी का ठहराव ना हो. करेले के खेत में जल निकासी का प्रबंध काफी जरूरी होता है, ऐसा ना होने पर फसल भी खराब हो सकती है.
करेले की फसल की निराई-गुडाई

किसानों को करेले की फसल के शुरुआत में ही निराई-गुड़ाई कर लेनी चाहिए. इसके पौधे के साथ साथ कई अनावश्यक दूसरे पौधे उग आते हैं, तो ऐसे में आपको इसके खेत की निराई-गुडाई कर लेनी चाहिए और दूसरे पौधों को हटा कर दूर फेंक देना चाहिए. शुरूआत से ही यदि इसके पौधे को खरपतवार से मुक्त रखते है, तो करेले की अच्छी फसल प्राप्त होती है.

करेले की कटाई/तुड़ाई

करेले की बुवाई करने के लगभग 60 से 70 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है. किसानों को इसके फलों की तुड़ाई छोटी और मुलायम अवस्था में ही कर लेनी चाहिए. तुड़ाई करते वक्त ध्यान रहें कि करेले के साथ डंठल की लंबाई 2 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए, ऐसा करने से फल ज्यादा समय तक ताजा रहता है. आपको इसकी तुड़ाई हमेशा सुबह के समय ही करनी चाहिए.

करेले की खेती में लागत और मुनाफा

प्रति एकड़ में करेले की खेती करने पर किसान की लगभग 30 हजार रुपये की लागत आती है. करेले की फसल एक एकड़ भूमि पर लगाने से लगभग 50 से 60 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. किसान इसकी एक एकड़ भूमि में खेती करके करीब 2 से 3 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं.


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