विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई 2024

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जयपुर।

राजस्थान में तंबाकू एवं धूम्रपान का 13 से 15 साल के किशोर किशोरियों में बढ़ता प्रचलन सभी के लिए चिंता का विषय है। प्रदेश में जितने किशोर स्मोकिंग करते है उनमें से 93.8 प्रतिशत इसका प्रयोग स्कूलों में करते है, यह जानकारी ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (जीवाईटीएस 2019) में सामने आई है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई 2024 के दिन हम सभी को इस पर गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम

सवाई मानसिंह चिकित्सालय के ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.पवन सिंघल बताते हैं कि इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर ( Protecting children from tobacco industry interference)  तंबाकू उद्योग की दखल से बच्चों की रक्षा करना है। हमारी आने वाली भावी पीढ़ियों की रक्षा को सुनिश्चित करना और तंबाकू के उपभोग को कम करना ही हमारी प्राथमिकता हो। तंबाकू उधोगों की ओर से मार्केटिंग के हर दिन नए तरीकों से जोकि युवाओं को अपनी और आकर्षित करते है,को करना भी इसमें शामिल है।

राजस्थान में वर्तमान स्थिति

डा.सिंघल ने बताया कि ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (जीवाईटीएस 2019) के अनुसार तंबाकू उधोग अपने उत्पादों के प्रचार के नायाब तरीकों से युवा किशोर—किशोरियों को अपनी और आकर्षित करते है। जिसका सीधा असर युवा वर्ग पर देखने को मिल रहा है। सर्वे में सामने आया कि प्रदेश में करीब 74.3 प्रतिशत किशोर एवं किशोरियों ने तंबाकू एवं अन्य संबंधित उत्पादों के प्रचार प्रसार को देखा है। वहीं 15.6 प्रतिशत किशोर एवं किशोरियों को ई सिगरेट के बारे में किसी तरह की जानकारी है। इसमें 17.2 प्रतिशत किशोर एवं 13.7 प्रतिशत किशोरियां शामिल है।प्रदेश में 13 से 15 साल के बच्चे जो तंबाकू उत्पादों का सेवन करते है। उनमें से 93.8 प्रतिशत स्कूलों में तंबाकू उत्पादों का सेवन करते है। 16.3 प्रतिशत किशोर तंबाकू उत्पादों का सेवन किसी न किसी रुप में कर चुकें हैं। इस दौरान पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में 12.1 प्रतिशत यूजर है, वहीं शहरी क्षेत्र में इसका प्रतिशत 5.6 है।

कोटपा का हो प्रभावी पालना

जबकि कोटपा कानून के अंतर्गत 18 साल से कम उम्र के युवाओं को तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की उपलब्धता नहीं होनी चाहिए, जबकि इसके बावजूद भी इस तरह की सामग्री का उपभोग हो रहा है। कोटपा का प्रभावी तरीके से पालन हो तो तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के उपभोग को कम किया जा सकता है।अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों का प्रचार प्रसार करने वाली सभी कंपनियां कानूनों को दरकिनार कर युवाओं को भ्रमित कर आकर्षित करने का काम कर रहीं है। फिल्म व खेल जगत से जुड़े लोगों को जिन्हे युवा अपना आदर्श मानता है वही युवाओं को विज्ञापनों के माध्यम से भ्रमित करने का काम कर रहें है। युवाओं को तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन के नुकसान की पूरी जानकारी नही होती, जिसके अभाव में वे इनका उपभोग शुरु कर देतें है और इसके आदी हो जाते है।युवाओं को इससे बचाने के लिए तंबाकू उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के प्रयास पर प्रभावी अंकुश, बच्चों व युवाओं के निरंतर तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति निरंतर जागरूक करने तथा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की जरूरत है।

डा.पवन सिंघल बताते हैं कि प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में कम उम्र के बच्चों व युवाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। यहां पर राजस्थान के साथ हरियाणा, पंजाब, यूपी, झारखंड सहित कई राज्यों के मरीज आ रहें है। इनमें से अधिकतर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से होने वाले रोगों से ग्रसित होते है। इनमें से कई मुंह व गले में कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियां से पीड़ित होतें है।  उन्होने बताया कि कम उम्र में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से युवाओं में कैंसर के मामले बढ़ रहें है। तंबाकू उधोगों के द्वारा ई सिगरेट को इस ढंग से प्रचारित किया जाता कि सामान्य धूम्रपान से यह कम हानिकारक है। जिसके चलते युवा भ्रम की स्थिति में उसकी और आकर्षित हो जाते है। जबकि भारत सरकार द्वारा 2019 में ई सिगरेट को प्रतिबंधित किया गया है। इसके बावजूद भी इसकी उपलब्धता चिंता का विषय है।

राजस्थान में हुक्का बार चिंताजनक

सुखम फाउंडेशन के ट्रस्टी डा.सोमिल रस्तौगी ने बताया कि जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा सहित प्रदेशभर में हुक्का बार का संचालन बड़े पैमाने पर हो रहा है। इनमें कई तरह के फ्लेवर्ड हुक्का निकोटिन से भरपूर युवाओं को परोसे जाते है जोकि स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते है। जोकि इनके मस्तिष्क सहित पूरे शरीर के लिए नुकसानदायक है। इसके लिए आमजन को भी पुलिस विभाग का सहयोग करना पड़ेगा तभी इस तरह के हुक्का बार पर प्रतिबंध लग सकता है।

तंबाकू छोड़ने में यह भी मददगार

तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों को छोड़ने का प्रयास करते वक्त अक्सर मुंह में कुछ चबाते रहने की इच्छा होती है। इसलिए आप एक कटोरी सलाद अपने पास रख सकते हैं, जब तंबाकू की इच्छा हो तब आप सलाद का सेवन कर सकते है। धूम्रपान करने की इच्छा से बचने के लिए आप इलायची,अजवाइन,सौंफ का चबाने में उपयोग कर सकते है। इसको चबाने से भी धूम्रपान करने की इच्छा से लड़ने में सहायता मिलती है।इसके साथ आप यदि धूम्रपान की आदत छोड़ना चाहते हैं तो ऐसे में शहद का इस्तेमाल भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें विटामिन,एंजाइम और प्रोटीन होते हैं,जो स्मोकिंग छुड़ाने में आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। अश्वगंधा और शतावरी भी तंबाकू उपभोगकर्ताओं के लिए लाभदायक साबित हो सकती है।क्योकि तंबाकू या धूम्रपान के नियमित सेवन से शरीर में निकोटीन जैसे विषैले यौगिकों का जमाव होता है, लेकिन अश्वगंधा और शतावरी जैसी जड़ी बूटियां शरीर से इन विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती हैं।

विटामिन वाले उत्पादों का करें सेवन

जो लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का सेवन करते है वे विटामिन सी से भरपूर फल खाना शुरू करें। संतरा,नींबू,आंवला और अमरूद और सेब आदि खाने से तंबाकू की आदत से छुटकारा मिल सकता है। विटामिन सी भी निकोटीन से शरीर को डिटॉक्स कर उसकी तलब कम करता है।

सामान्य जीवन के लिए यह करें

धूम्रपान की लत से बचने के लिए व्यस्त रहना बेहद जरूरी है। इसलिए आप अपने दिन की शुरुआत सुबह के नाश्ते, कसरत, ध्यान और काम से शुरू करें। जिससे धूम्रपान करने की इच्छा से बचा जा सके। इससे आप सामान्य जीवन जी सकेंगे।


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