महिला अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में जुटे विश्वविद्यालय बुद्धिजीवी और ट्रांसजेंडर व्यक्ति


रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र द्वारा छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति के सहयोग से एक दिवसीय संवेदनशीलता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता जागरूकता करना तथा उभयलिंगी व्यक्ति अधिकारों का संरक्षण कानून 2019 तथा नियम 2020 के प्रावधानों के प्रति जागरूक करना था. इस कार्यालय में समुदाय के व्यक्तियों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों के द्वारा भी अपने अपने विचार व्यक्त किए गए. कार्यक्रम का प्रारंभ समाज कार्य विभाग के प्राध्यापक श्री एल एस गजपाल जी के वक्तव्य से हुआ । उन्होंने कहा कि एक आदर्श समाज का निर्माण तभी हो सकता है , जब वहां पर सही मायने में जेंडर समानता की बात होती है। उन्होंने बताया समाज कार्य विभाग से दो व्यक्तियों ने पीएचडी में ट्रांसजेंडर विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।

कार्यक्रम के अगले वक्ता रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सच्चिदानंद शुक्ला थे. उन्होंने इस आयोजन के लिए महिला अध्ययन केंद्र को बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की यह प्रतिबद्धता है कि भारत सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति 2020 के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों भी सुलभ शिक्षा का लाभ प्रदान करना है. उनके प्रयास से विश्वविद्यालय में तीन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सिक्योरिटी गार्ड के रूप में नियुक्ति की गई है तथा भविष्य में उन्होंने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिक्षा के लिए अनेक व्यवस्थाएं प्रारंभ करने की बात कही. कार्यक्रम के अगले वक्त में आरोही ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों पर बात किया तथा इसी प्रकार गीतू सोनबेर ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के वृद्धावस्था की समस्याएं तथा उसके समाधान पर बात की अगले वक्ता के रूप में खुशी ध्रुव ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पारिवारिक मुद्दों पर बात की तथा समायरा ने एजुकेशन पर आने वाले चुनौतियों पर चर्चा की. इसी तरह इंसिया मिली ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के रोजगार से संबंधित समस्याओं पर बात की तथा उसके उचित समाधान सुझाए. मुख्य वक्ता के रूप में पापी देवनाथ , प्रोग्राम मैनेजर गरिमा गृह ने ट्रांसव्यक्ति के जीवन से संबंधित चुनौतियां को अपने अनुभवों के साथ साझा किया।

कार्यक्रम में अगले मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद की विशेषज्ञ रवीना बरीहा ने उभयलिंगी व्यक्ति अधिकारों के संरक्षण कानून 2019 व रूल्स 2020 के सभी प्रावधानों की जानकारी दी तथा इसी जेंडर सेक्स और सेक्स , सेक्सुअलिटी के बीच अंतर को स्पष्ट किया। उन्होंने प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के इतिहास को बड़े ही सूक्ष्मता के साथ सब लोगों के समक्ष रखा. छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति के अध्यक्ष विद्या राजपूत ने अपने उद्बोधन अपनी कविता हां किन्नर हूं से शुरुआत की । अपने वक्तव्य में विद्या राजपूत ने ट्रांस वूमेन के जीवन से संबंधित समस्याओं को अपने जीवन के अनुभव के साथ जोड़कर के रखा तथा उन्होंने बताया कि स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में ट्रांसजेंडर विषय को सम्मिलित करना कितना महत्वपूर्ण है. उन्होंने अनेक केस स्टडी के माध्यम से कार्यशाला में बताया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के आजीविका और शिक्षा के संबंध में उचित कदम उठाने की आवश्यकता है. सुश्री विद्या राजपूत ने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिय उठाए गए तत्वों कदमों की सराहना की। कार्यक्रम के अंत में कार्यशाला में दिए गए उद्बोधनों की समीक्षा तथा धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग तथा महिला अध्ययन केंद्र की डायरेक्टर प्रोफेसर रीता वेणुगोपाल के द्वारा किया गया. उन्होंने आगे इस प्रकार के आयोजनों को सतत करते रहने की बात कही. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, प्राध्यापक तथा तृतीय लिंग समुदाय के व्यक्ति उपस्थित थे।


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