12 साल की लड़की ने खाया ‘नाइट्रोजन पान’ और पेट के अंदर हो गया छेद


नई दिल्ली।

  पान खाना भारत की प्राचीन संस्कृति रही है.भले ही इसे शान-ओ-शौकत का प्रतीक माना जाता है लेकिन हर वर्ग के लोग पान बड़े चाव से खाते हैं. हिंदी फिल्म डॉन का यह गीत ‘ओ खाई के पान बनारस वाला’ जबरदस्त हिट हुआ था. संगीत सम्राट किशोर कुमार का यह गीत आमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया था. पान आज भी सबको बहुत पसंद है, बस फर्क इतना है कि आज कुछ अजीबोगरीब ढंग से पान खाने की परंपरा चल निकली है.जी हाँ कभी अग्नि पान यानी जलता हुआ पान मुंह में डालना तो कहीं नाइट्रोजन पान जिसे स्मोकी पान भी कहा जाता है, जिसे मुँह में डालते ही बड़ी तेजी से स्मोक बाहर निकलता है. अगर आप भी इस तरह के पान खाने के शौकीन हैं तो जरा सावधान हो जाइए।

दरअसल 12 साल की बच्ची के लिए लिक्विड नाइट्रोजन पान खाने का मजेदार अनुभव उस वक्त एक भयानक सपने में बदल गया, जब पान खाने की वजह से उसके पेट में बहुत तेज दर्द होने लगा.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित बच्ची के स्मोकी पान खाने के बाद अचानक ही अप्रैल महीने के अंत में पेट में दर्द होने लगा. इसके बाद जल्द ही उसके परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसके पेट में छेद हो गया है।

इस बारे में बच्ची का कहना है कि, “मैं केवल स्मोकी पान ट्राई करना चाहती थी क्योंकि मुझे यह काफी दिलचस्प लगा और बाकी लोग भी इसे खा रहे थे. किसी को कोई दर्द नहीं हुआ लेकिन मुझे जो दर्द हुआ वो बर्दाश्त से बाहर था.” HSR लेआउट पर स्थित नारायण मल्टीस्पेशेलिटी अस्पताल में डॉक्टरों ने तुरंत ही बच्ची को सर्जरी कराने के के लिए कहा।

पीड़ित बच्ची को इंट्रा-ऑप ओजीडी स्कोपी और स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी के साथ एक एक्सप्लोरेटरी लैपरोटॉमी से गुजरना पड़ा. ऑपरेटिंग सर्जन डॉ. विजय एचएस ने बताया, “इंट्रा-ऑप ओजीडी स्कोपी एक ऐसी प्रक्रिया है जहां एक एंडोस्कोप, एक कैमरा और रोशनी से सुसज्जित एक लचीली ट्यूब, का उपयोग सर्जरी के दौरान अन्नप्रणाली, पेट की जांच करने के लिए किया जाता है.” डॉ. विजय एचएस ने ही सर्जिकल टीम का नेतृत्व किया था.इसके बाद, पेट का एक हिस्सा, जो कम वक्रता पर लगभग 4×5 सेमी था को हटा दिया गया. बच्ची को सर्जरी के 6 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।

शरीर पर कैसे असर डालता है लिक्विड नाइट्रोजन

नारायण अस्पताल के मुताबिक, “20 डिग्री सेल्सियस पर 1:694 के तरल-से-गैस विस्तार अनुपात के साथ लिक्विड नाइट्रोजन, महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. किसी बंद स्थान में लिक्विड नाइट्रोजन के तीव्र वाष्पीकरण से काफी जोर पड़ता है. इसकी वजह से त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है और साथ ही रसोई में काम करने वाले या फिर खाद्य संचालकों को भी इससे स्वास्थ्य खतरा हो सकता है. लिक्विड नाइट्रोजन की स्मोक को अंदर लेने से सांस लेने में कठिनाई हो सकती है”.अगर अगली बार किसी पान दुकान या पार्टी वगैरा में आप अग्नि पान अथवा स्मोकी पान खाने का शौक फरमाते है तो एक बार अपनी सेहत के बारे में जरूर विचार कर लीजिएगा ।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *