अब सबसे सुरक्षित सीट रायबरेली से राहुल गांधी उम्मीदवार, क्या बचा पाएंगे पार्टी की साख?


रायबरेली।

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने बड़ा दांव खेलते हुए अमेठी की बजाए रायबरेली से राहुल गांधी को टिकट दिया है। जबकि अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाया है।

रायबरेली को कांग्रेस पार्टी का गढ़ कहा जाता है और यह पार्टी की सबसे सुरक्षित सीट है। यहां आजादी के बाद से आजतक पार्टी को सिर्फ एक बार हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में पार्टी ने राहुल गांधी को सबसे सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया है।

जिस तरह से पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, उसके बाद पार्टी किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती थी। यही वजह है कि इस बार राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाया गया है, जहां से सोनिया गांधी मौजूदा सांसद है। कांग्रेस के लिए साख की लड़ाई अमेठी में जिस तरह से राहुल गांधी को स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, उसके बाद पार्टी एक बार फिर से यह जोखिम नहीं लेना चाहती थी कि राहुल गांधी दोबारा स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव हार जाएं। पार्टी अमेठी में अपनी बची हुई साख को बचाना चाहती है, लिहाजा वह किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है।

ऐसे में पार्टी ने बड़ा दांव खेलते हुए स्मृति ईरानी के खिलाफ गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस पार्टी की विरासत सीट रायबरेली से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में एक बात और स्पष्ट हो गई है कि सोनिया गांधी इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी। किशोरी लाल शर्मा बड़ा दांव अमेठी में किशोरी लाल शर्मा के साथ कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है। अमेठी में अगर गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा स्मृति ईरानी को हरा देते हैं तो कांग्रेस के लिए यह बड़ी जीत होगी।

किशोरी लाल की जीत से एक बड़ा संदेश यह जाएगा कि पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता ने स्मृति ईरानी को हरा दिया। लिहाजा भाजपा के लिए यह शर्मनाक स्थिति होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटों पर भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंकेगी। आजादी के बाद सिर्फ एक बार रायबरेली में हारी कांग्रेस वर्ष 1999 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद हैं। पार्टी यहां से लगातार चुनाव जीतती आ रही है। आजादी के बाद से इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है। हालांकि 1977 में जनता पार्टी के राज नारायण ने यहां से इंदिरा गांधी को हराया था। लेकिन 15 बार यहां कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। रायबरेली से राहुल को उतारना मजबूरी? जिस तरह से अमेठी की बजाए राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाया गया है उसे पार्टी की ओर से बड़ा कदाम की बजाए मजबूरी ही समझा जाएगा। कांग्रेस किसी भी सूरत में यह नहीं चाहेगी कि एक बार और राहुल गांधी को परंपरागत सीट से हार का सामना करना पड़े। यही वजह है कि इस बार उन्हें और ही सुरक्षित विकल्प के तौर पर रायबरेली से उम्मीदवार बनाया गया है। अमेठी से राहुल को मिली थी हार वर्ष 2004 से 2014 के बीच तीन बार राहुल गांधी ने अमेठी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। 2014 में हालांकि स्मृति ईरानी को राहुल गांधी ने मात दी थी। लेकिन 2019 में राहुल गांधी को यहां से हार का सामना करना पड़ा। यही वजह है कि राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी के साथ केरल की वायनाड सीट से भी नामांकन दाखिल किया था और यहां से जीत दर्ज की थी।


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