रायपुर । बस्तर में एक और हत्या की कांग्रेस ने कड़ी निंदा किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बस्तर में लगातार हो रही नक्सल हत्या के लिये भाजपा की विष्णुदेव सरकार की अकर्मण्यता और अनिर्णय वाली नीति जवाबदार है। राज्य में जब से भाजपा की सरकार बनी है नक्सली गतिविधियां बढ़ गयी है। भाजपा सरकार नक्सल मामले में मतिभ्रम का शिकार है। सरकार तय नहीं कर पा रही कि नक्सल मामले में उसे क्या करना है, इसी कारण नक्सली गतिविधियां बढ़ गयी है। एक हफ्ते में दो भाजपा नेताओं की हत्या हो गयी। तिरुपति कटला के बाद बीजापुर के कैलाश नाग की हत्या हो गयी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नक्सलवाद पर एक ठोस नीति बनाया था विश्वास, विकास, सुरक्षा के मूल मंत्र को लेकर कांग्रेस सरकार आगे बढ़ी थी जिसके सकारात्मक परिणाम आये और राज्य में नक्सली गतिविधियों में 80 प्रतिशत तक की कमी आई थी तथा रमन राज में नक्सलवाद 15 जिलों तक पहुंच गया था। कांग्रेस सरकार के 5 सालों में बस्तर के सूदुर क्षेत्रों तक सिमट गया था। वर्तमान भाजपा सरकार के अनिर्णय के कारण राज्य में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां बढ़ गई है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार बनने के बाद से लगभग हर दूसरे दिन नक्सली घटनाएं हो रही है। साय सरकार की अकर्मण्यता के चलते ही विगत दो महीनो के भीतरी ही 30 से अधिक घटनाओं को नक्सलियों ने अंजाम दिया है। भाजपा सरकार की नाकामी का खामियाजा भोले भाले आदिवासी जनता भुगत रही है। जिस तरह से पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार के 2003 से 2818 के 15 वर्षों में 1500 से अधिक स्थनीय आदिवासी, नक्सली घटनाओं में मारे गए, हजार से अधिक सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए थे और हजारों फर्जी प्रकरण बनाकर निर्दोष आदिवासियों को जेल में बंद किया गया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आते ही अब एक बार फिर वही दौर आ गया है। विगत दिनों बस्तर में 6 माह की बच्ची की हत्या हुई थीं जिसे क्रॉस फायरिंग में मौत बताया गया, विगत दो महीनों में अपनी नाकामी छुपाने फर्जी मुड़भेड़ को लेकर लगातार आरोप लग रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार समझ ही नहीं पा रही कि उसे क्या करना है? राज्य के गृह मंत्री पहले तो कहते है नक्सलियों से सख्ती से निपटा जायेगा, फिर उनका बचकाना बयान आता है कि नक्सलवादियों से वीडियों कांफ्रेंसिंग माध्यम से बात करेंगे। सरकार को यह पता है कि अमुक व्यक्ति नक्सल गतिविधि में लिप्त है, जब सरकार के पास इतनी पुख्ता जानकारी है तो फिर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करने से रोक कौन रहा है? सरकार नक्सलियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय खुद पहल करके बात करने वह भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत का प्रस्ताव क्यों रखा है?
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