दिल्ली किसान महापंचायत में शामिल होंगे छत्तीसगढ़ के किसान


रायपुर/  भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ के सक्रिय कार्यकर्ताओं का बैठक प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत की अध्यक्षता एवं प्रदेश प्रभारी प्रवीण क्रांति की उपस्थिति में टाटीबंध रायपुर में सम्पन्न हुआ बैठक का संचालन प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही ने किया।

उक्त आशय की जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ के महासचिव तेजराम विद्रोही ने बताया कि बैठक में किसान आंदोलन की राष्ट्रीय एवं राज्य की परिस्थितियों के ऊपर चर्चा किया गया साथ ही राज्य में सांगठनिक विकास के 30 अप्रैल तक सदस्यता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर 14 मार्च 2024 को दिल्ली के रामलीला मैदान में एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए आयोजित होने वाली किसान महापंचायत में छत्तीसगढ़ से भारतीय किसान यूनियन के करीब दो सौ कार्यकर्ता भाग लेने का निर्णय लिया गया है। सभी किसानों को सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिल सके इसके ऊपर जारी आंदोलन पर केंद्र सरकार द्वारा फैलाये जा रहे भ्रम पर किसानों ने कहा कि

भारत सरकार केवल 23 फसलों के लिए एमएसपी प्रदान करती है और इस मूल्य पर खरीद की गारंटी नहीं करती है। गेहूं और धान के लिए पंजाब, हरियाणा, म.प्र. और उ.प्र. में कुछ मंडियां मौजूद हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में धान की कुछ सरकारी खरीद होती। भारतीय कपास प्राधिकरण द्वारा विभिन्न प्रकार से कपास की खरीद की जाती है। सरकारी तौल केंद्रों के माध्यम से मिलों में बिक्री से गन्ने की कीमत का आश्वस्त की जाती है। नाफेड कुछ दालें खरीदता है। खरीद एक समान नहीं है, उदाहरण के लिए, सरकार अपने गेहूं का 70% केवल पंजाब और म.प्र. से खरीदती है जो पंजाब के उत्पादन का 70% और म.प्र. के उत्पादन का 35% है, लेकिन उ.प्र. के उत्पादन का केवल 15% सरकार द्वारा खरीदा जाता है।

इसका नतीजा यह हुआ कि धान का एमएसपी जो 2023 में 2183 रुपये प्रति क्विंटल था, बिहार और पूर्वी उ.प्र. में व्यापारियों द्वारा 1200 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत तक खरीदा गया, क्योंकि वहां कोई सरकारी खरीद नहीं है। इसी तरह, 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये था, और कई क्षेत्रों में 1800 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया था। इसके अलावा 2 साल पहले मक्के का एमएसपी 1900 रुपये प्रति क्विंटल था और 1100 रुपये प्रति क्विंटल पर बिका। कीमत में यह गिरावट इसलिए आती है क्योंकि खरीद की कोई गारंटी नहीं है। एमएसपी बाजार में मौलिक दर निर्धारित कर देता है और कॉर्पोरेट व्यापारिक कंपनियों से जुड़े बिचौलिए बाजार पर राज करते हैं क्योंकि किसानों के पास रखने और भंडारण करने की क्षमता नहीं होती है, जिससे उन्हें औने पौने दाम पर अपनी उपज बिक्री करनी पड़ती है।
स्वामीनाथन फार्मूले के अनुसार सी – 2+50% का न्यूनतम समर्थन मूल्य:

भाजपा 2014 में किए गए अपने चुनावी वादे से पीछे हटकर किसानों को धोखा दे रही है। 2023-24 के लिए घोषित गेहूं और धान का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल और 2183 रुपये प्रति क्विंटल था। क्रमशः इसकी गणना ए – 2 + एफ एल लागत पर की गई थी। ए – 2 भुगतान लागत है, यानी, किसान बीज और सिंचाई सहित अन्य लागत के लिए कितना भुगतान करता है। एफ एल प्रति सीजन केवल 8 दिनों के काम के लिए पारिवारिक श्रम की अनुमानित लागत है। सी – 2, ये व्यापक लागत है जिसमें भूमि किराया, ट्रैक्टर सहित कृषि उपकरणों का मूल्यह्रास, पूर्ण श्रम लागत और निवेशित पूंजी पर ब्याज भी शामिल करता है। आम तौर पर कहें तो इससे लागत में लगभग 25-30% का इजाफा हो जाएगा। सी – 2+50% पर घोषित एमएसपी तदनुसार बढ़ जाएगा। छत्तीसगढ़ में जब मोदी की गारंटी के नाम पर जब छत्तीसगढ़ में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी का गारंटी देता है तब इसे पूरे भारत मे लागू क्यों नहीं करता।
बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा नरवाल, प्रदेश सह सचिव कमलसिंह कुशवाहा, अम्बिकापुर जिला अध्यक्ष परमानंद तिर्की, बीजापुर जिला अध्यक्ष धन्नूर सम्बईय्या, कोंडागांव जिला मीडिया प्रभारी रामपत कश्यप, जगदलपुर जिला अध्यक्ष शुभमसिंह, सुकमा जिला अध्यक्ष सुदामा नाग, गरियाबंद जिला संयोजक मदनलाल साहू, नारायणपुर जिला अध्यक्ष रुबजी सलाम, दंतेवाडा जिला अध्यक्ष जयराम कश्यप, रायपुर जिला संयोजक यूसुफ खान सहित सक्रिय कार्यकर्ता भाग लिए।


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