दिल्ली, 23 फरवरी 2024/
कांग्रेस ने संसद में बजट सत्र के दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री गहरी असुरक्षाओं और जटिलताओं से पीड़ित हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर गहरी असुरक्षाओं और जटिलताओं से पीड़ित होने का आरोप लगाया और कहा कि इससे वह जवाहरलाल नेहरू पर “शत्रुतापूर्वक” हमला करते हैं। इसको लेकर जयराम रमेश ने एक एक्स पोस्ट किया
अपने पोस्ट में कांग्रेस नेता ने लिखा कि प्रधानमंत्री कल लोकसभा में बिल्कुल बेतुकी और बकवास बातें करते रहे। सदन में उनका यह सबसे निम्न स्तर था। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में भी वह निस्संदेह इसे दोहराएंगे। वह गहरी असुरक्षाओं और हीनभावना से ग्रस्त हैं। इसी वज़ह से वह नेहरू पर सिर्फ़ राजनीतिक ही नहीं बल्कि बेहद घटिया ढंग से व्यक्तिगत हमले भी करते हैं। उन्होंने कहा कि वाजपेयी और आडवाणी ने कभी ऐसा नहीं किया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी, जिन्हें लगता है कि वह बहुत चालाक हैं, दरअसल ऐसा करके वह जिस पद पर हैं, उसका अपमान करते हैं। Megalomania (अहंकार की पराकाष्ठा) और (Nehru Phobia) नेहरू का डर एक ख़तरनाक मिश्रण है जो मर्डर ऑफ़ डेमोक्रेसी इन इंडिया (MODI) का कारण बन रहा है।
रमेश ने लिखा कि भारत के लोगों और विशेष रूप से युवाओं ने निर्णय लिया है कि प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी जी का लोकसभा में अंतिम भाषण होगा। पिछले दस साल का अन्याय काल जल्द ही समाप्त होगा। पीएम मोदी ने सोमवार को लोकसभा में अपने 100 मिनट के भाषण के दौरान भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस नेता सोचते थे कि भारतीय आलसी और कम बुद्धि वाले हैं। लाल किले की प्राचीर से नेहरू के स्वतंत्रता दिवस के भाषण का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, “नेहरू ने कहा था ‘हम यूरोपीय, जापानी, चीनी, रूसी या अमेरिकियों जितनी मेहनत नहीं करते हैं।
मोदी ने आगे कहा कि वह (नेहरू) उन लोगों को भारतीयों को नीचा दिखाने का प्रमाणपत्र दे रहे हैं।’ इससे पता चलता है कि भारतीयों के बारे में नेहरू जी की सोच यह थी कि वे आलसी और अल्प बुद्धि के होते हैं। उन्हें उनकी क्षमता पर भरोसा नहीं था। मोदी ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अलग नहीं सोचती थीं। उन्होंने कहा कि इंदिरा जी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था, ‘दुर्भाग्य से हमारी आदत है कि जब कोई अच्छा काम पूरा होने वाला होता है तो हम लापरवाह हो जाते हैं। और जब कोई बाधा आती है तो हम आशा खो देते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि पूरे देश ने हार मान ली है।’
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