कलेक्टर कार्यालय में आज मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री सिद्धार्थ जैन की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में बताया गया कि जापानी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए 27 फरवरी से टीकाकरण सारणी में एक और नया टीका जे.ई (जापानी एन्सेफलाइटिस) जोड़ा जा रहा है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने अभियान को सफल बनाने के लिये सभी विभागों को आपसी समन्वय से अभियान में कार्य करने के लिये कहा और कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिये यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
बताया गया कि यह अभियान इन्दौर सहित प्रदेश के चार जिलों में शुरु किया जाएगा, जिसमें भोपाल, सागर एवं नर्मदापुरम सम्मिलित है। इसके पूर्व विदिशा एवं रायसेन जिले में यह अभियान चलाया जा चुका है, जहाँ अब नियमित टीकाकरण में भी यह टीका दिया जाने लगा है। “जापानी बुखार” के सर्वाधिक प्रकरण उत्तर प्रदेश से सामने आए हैं। म.प्र. में भी “जापानी बुखार” के प्रकरण रिपोर्ट किए जा चुके। यह रोग मच्छर जनित है, यह पक्षियों और सुअरों में होने वाली यह बीमारी मच्छरों के माध्यम से मनुष्य में आती है। यह मनुष्य से मनुष्य में होने वाला संक्रमण नहीं है।
अभियान के अंतर्गत यह टीका 01 से 15 साल के आयु वर्ग के बच्चों को लगाया जाएगा। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह जापानी दिमागी बुखार है, इससे संक्रमित होने पर बच्चे को झटके आते हैं, बेहोशी होती है और अत्यंत गंभीर स्थिति में मृत्यु भी हो जाती है।
इस वायरल बीमारी से बचने का सबसे सुरक्षित उपाय टीकाकरण है। प्रारंभ में सभी टीकाकरण केन्द्रों पर सामुदायिक स्तर पर टीकाकरण किया जाएगा और फिर नियमित टीकाकरण सारणी में यह टीका जुड़ जाएगा। इसके साथ ही पहले टीकाकरण के माध्यम से बच्चों को 11 बीमारियों से सुरक्षा मिलती थी, जो अब बढ़कर 12 बीमारियों से सुरक्षा मिलेगी। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ० बी०एस० सैत्या ने विभाग की अपेक्षाओं से परिचित कराया। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ० तरुण गुप्ता एवं सर्विलियेस मेडिकल आफिसर डॉ० अभिषेक बछौतिया ने जिले की रणनीति से अवगत कराया। इस अवसर पर सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ० जी०एल० सोढी भी उपस्थित थे।
इस बैठक में महिला बाल विकास, शिक्षा, जिला पंचायत, सामाजिक न्याय, नगर निगम, श्रम आदि विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे। सभी विभागों से अभियान को सफल बनाने के लिये जो अपेक्षायें है, वह प्रस्तुत की गई। मुख्य फोकस हाइरिस्क एरिया में होगा, जहां बच्चे टीकाकरण से छूट जाते हैं। सभी परिजनों से यह अपील की गई है कि वे अपने 01 से 15 साल के बच्चों को इस बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए जे.ई. का टीका अवश्य लगवाएं।
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