पनोरा गांव के ग्रामीणों को मिली पट्टे की जमीन तो नहीं रहा खुशी का ठिकाना


जांजगीर-चांपा 16 फरवरी 2024/ जब अपनी जमीन और आसमान अपना न हो तो मुश्किलें बढ़ जाती हैं, लेकिन अगर अपना ठिकाना मिल जाए तो फिर जीवन में सब कुछ मिल गया ऐसा लगता है। ऐसा ही कुछ बलौदा विकासखण्ड के पनोरा ग्राम पंचायत में रहने वाले ग्रामीणों के साथ हुआ, जिनके पास अपनी जमीन तक नहीं थी उन्हें शासन की महत्वाकांक्षी वन अधिकार पट्टा योजना के माध्यम से जमीन दी गई, आज इस जमीन के पट्टे को पाकर यहां के 56 ग्रामीण बेहद खुश हैं और अब उन्हें शासन की अन्य योजनाओं का लाभ मिलने लगा और वे बेहद खुशहाली के साथ अपनी जिंदगी बसर करने लगे।   बलौदा विकासखंड के ग्राम पंचायत पनोरा में रहने वाली वन अधिकार पटटा हितग्राही श्रीमती बचन बाई पति भुवनलाल का कहना है कि ”पहले उनका परिवार वन की भूमि पर पीढियों से काबिज थे और खेती-किसानी करते आ रहे थे लेकिन जिस काबिज जमीन पर थे उसका नाम किसी प्रकार से किसी दस्तावेज में नहीं था और न ही कोई प्रमाण था जिसके कारण उस जमीन का उपयोग उसके मुताबिक नहीं कर पा रहे थे, लगातार यही सोचते थे कि कहीं वे वन भूमि से वंचित न हो जाए, साथ ही उचित आय भी नहीं हो रही थी, बस मजदूरी का काम करके परिवार का पालन पोषण करते आ रहे थे। वे बताती हैं कि जब वन अधिकार मान्यता कानून आया तो उन्हें वर्ष 2023 में 0.960 हेक्टेयर भूमि जिस पर वह काबिज थी उन्हें उस भूमि पर अधिकार दिया गया और उनका पट्टा जारी किया गया। जिसके बाद अब उनका परिवार इस जमीन पर धान, सब्जी, तिलहन, दाल लगा रहे हैं, जिससे उनके परिवार की आय अब ज्यादा होने लगी है। इसी तरह इस गांव में ही रहने वाले हीरा सिंह, पिता इंदल सिंह को 0.182 हे० क्षेत्रफल की काबिज वन भूमि का अधिकार दिया गया है। वह बताते कि पटटा मिलने के पश्चात उनके जीवन यापन के साथ रहने का अधिकार प्राप्त हो गया। जमीन क्या मिली मानो उनके परिवार को खुशियों का खजाना मिल गया, जिस जमीन पर उनके पुरखों ने काम किया आज वह उनके नाम हुई, इस वजह पूरा परिवार अब खुशहाल जीवन व्यापन कर करने लगा। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के माध्यम से वन अधिकार पट्टाधारियों का आजीविका संवर्धन के लिए वर्ष 2023 में 56 हितग्राहियों को पट्टा का वितरण किया गया है। पट्टा मिलने के बाद से धान बेचने, के.सी.सी. लोन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधान मंत्री अवास योजना, पशुपालन, कुक्कुट पालन, मनरेगा अंतर्गत मेढ़ बंधान निर्माण, भूमि समतलीकरण एवं अन्य योजनाओं का लाभ मिलने लगा है।


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