कृषि फसलों की लागत कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए : डॉ. विजय पाल शर्मा


रायपुर, दिनांक 06 फरवरी 2023। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में आज यहां भारत के पांच पूर्वी राज्यों – छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, तथा बिहार में भारत के पूर्वी राज्यों की खरीफ फसलों की लागत एवं समर्थन मूल्य निर्धारण के लिए क्षेत्रीय बैठक आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ. विजय पाल शर्मा उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विकास एवं कृषक कल्याण विभाग की संचालक डॉ. चंदन संजय त्रिपाठी, भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के सदस्य सचिव डॉ. अनुपम मित्रा तथा आयोग के सदस्य द्वय डॉ. एन.पी. सिंह तथा आर.एल. डागा, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास सहित बैठक में पांच पूर्वी राज्यों छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, तथा बिहार के कृषि लागत से जुडे़ अर्थशास्त्रियों और नोडल अधिकारी तथा छत्तीसगढ़ राज्य के प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ. विजय पाल शर्मा ने कहा कि हमारा देश आज अनाज वाली फसलों जैसे – धान एवं गेहूँ का आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर रहा है तथा अब इनके भंडारण में समस्या आ रही है जबकि दूसरी ओर दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन में वृद्धि के बावजूद देश अब भी आत्म निर्भर नहीं हो पाया है। अतः हमें फसल विविधिकरण को अपनाते हुए अनाज फसलों की बजाय दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पादन पर अधिक ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की प्राथमिकता कृषि का विकास तथा किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य प्रदान करना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने वादे के अनुरूप किसानों को उनकी फसलों की लागत का डे़ढ़ गुना समर्थन मूल्य उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि खेती को लाभकारी बनाने के लिए लागत में कमी करनी होगी, फसलों के लिए आवश्यक आदान जैसे बीज, खाद तथा उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी और किसानों को बाजार से जोड़ना होगा। बैठक में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने अपने संबोधन में कहा कि फसल विविधिकरण में मूल्य संवर्धन को ध्यान में रखना चाहिए जैसे चावल की पोषकता और चावल की उच्च गुणवत्ता को ध्यान में रखकर उपार्जन मूल्य मिलना चाहिए। छत्तीसगढ़ शासन के कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग के संचालक डॉ. चंदन संजय त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ के कृषि परिदृश्य पर प्रकाश डाला।इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ की ज्वलंत समस्या चोरी और चराई को बताते हुए कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए सामुदायिक रूप से प्रयास किये जाने चाहिए। इस अवसर पर भारत सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के सदस्य सचिव डॉ. अनुपम मित्रा तथा आयोग के सदस्य द्वय डॉ. एन.पी. सिंह तथा आर.एल. डागा ने कार्यक्रम को संबोधित किया। कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास ने छत्तीसगढ़ में फसलों की व्यवहारिक लागत आकलन हेतु ध्यान आकृष्ट किया। बैठक में पांच पूर्वी राज्यों छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, तथा बिहार के कृषि लागत से जुडे़ अर्थशास्त्रियों और नोडल अधिकारियों ने विचार व्यक्त किये जिसमें ओडिशा राज्य की जानकारी में बताया गया कि वहां पृथक रूप से कृषि बजट बनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में बीज परिवर्तन की दर 23 प्रतिशत रही है। बिहार में अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियों का बीज महंगा मिलता है, तथा यूरिया की समय पर अनुपलब्धता को मुख्य समस्या बताया। बैठक में बताया गया कि झारखण्ड में लागत निर्धारण के लिए 11 फसलों को शामिल किया जाता है, जबकि छत्तीसगढ़ में लागत निर्धारण के लिए 30 गांव के 180 किसानों तथा 9 फसलों का चयन किया गया है। ओडिशा में अनाज, दलहन और तिलहन की कुल 10 फसलां की लागत का निर्धारण किया जाता है।उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा 23 फसलों के क्रय हेतु न्यूनत्म समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। प्रतिवर्ष खरीफ मौसम के पूर्व भारत सरकार द्वारा गठित कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा देश भर में अलग-अलग क्षेत्रों में बैठकें आयोजित कर राज्य सरकारों एवं कृषकों के चर्चा की जाती है तथा उनसे विभिन्न फसलों के समर्थन मूल्य के निर्धारण हेतु प्रस्ताव एवं सुझाव आमंत्रित किये जाते हैं। विभिन्न फसलों की लागत के निर्धारण हेतु हर राज्य में खेती की लागत तय करने हेतु विभिन्न जिलों के चिन्हित विकास खण्डों में चयनित किसानों के खेतों पर ट्रायल आयोजित किये जाते हैं और फसलों की लागत का निर्धारण किया जाता है। इसी कड़ी में आज यहां पूर्वी के क्षेत्र के पांच राज्यों के कृषि अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषक प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय जोशी तथा अंत में आभार प्रदर्शन नोडल अधिकारी डॉ. प्रवीण वर्मा ने किया। बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य के प्रगतिशील कृषकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया तथा अपने विचार व्यक्त किये।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *