रायपुर, दिनांक 18 जनवरी, 2024। भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 38वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। श्री धनखड़ इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में कारगर धान की नवीन किस्म संजीवनी से निर्मित तीन उत्पादों का लोकार्पण भी करेंगे। यह किस्म इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर, मुम्बई के साथ किये गये अनुसंधान द्वारा विकसित की गई है। उपराष्ट्रपति इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो एक दिवसीय संगोष्ठियों का शुभारंभ भी करेंगे जिनमें से एक कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप, नवाचार एवं उद्यमिता विकास पर केन्द्रित होगी तथा एक अन्य संगोष्ठी कृषि, पोषण एवं लोक स्वास्थ्य पर केन्द्रित होगी। श्री धनखड़ इस मौके पर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित किसानोपयोगी ‘‘कृषि पंचांग 2024’’ का विमोचन भी करेंगे। समारोह की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन करेंगे। समारोह में अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री द्वय श्री अरूण साव तथा श्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम और विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद रायपुर श्री सुनील सोनी, धरसींवा विधायक श्री अनुज शर्मा तथा रायपुर ग्रामीण विधायक श्री मोतीलाल साहू भी उपस्थित रहेंगे।स्थापना दिवस समरोह में उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की इम्यूनोबूस्टर एवं कैंसर रोधी किस्म संजीवनी से निर्मित तीन उत्पादों संजीवनी इंस्टैन्ट, संजीवनी मधु कल्क तथा संजीवनी राइस बार का लोकार्पण करेंगे। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए धान की एक नवीन औषधीय किस्म ‘‘संजीवनी’’ विकसित की है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा कैंसर कोशिकाओं की रोक-थाम में उपयोगी पाई गई है। संजीवनी का विकास छत्तीसगढ़ की पारंपरिक देशी औषधीय धान की किस्मों से चयन द्वारा किया गया है। इसके औषधीय गुणों के वैज्ञानिक आधार का विस्तृत विश्लेषण कर एक ऐसी प्रजाति का विकास किया गया है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है तथा केवल 10 दिन तक इसका उपयोग करने पर प्रतिरोधक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह किस्म भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर, मुम्बई के सहयोग से विगत छह वर्षां तक किये गये अनुसंधान के द्वारा विकसित की गई है।विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि के क्षेत्र में नवाचार एवं उद्यम की संभावनाओं एवं चुनौतियों पर विचार विमर्श के लिए एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें कृषि आधारित स्टार्टअप एवं नवाचार से संबंधित विभिन्न विषयों पर देश एवं प्रदेश के विख्यात विशेषज्ञ युवाओं एवं छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे। संगोष्ठी में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए शासकीय नीतियों, नवाचार में स्टार्टअप की भूमिका, कृषि उद्योगों का उन्नयन, नवाचार के प्रोत्साहन के लिए औद्योगिक नीति, कृषि निर्यात के माध्यम से उद्यमिता का विकास, आदि पर विचार-मंथन किया जाएगा। इस संगोष्ठी में स्टार्टअप उद्यमी, नवाचारी विद्यार्थी, उद्योग प्रतिष्ठान, निवेशक, शासकीय संस्थाएं, कृषि उत्पादक संघ, प्रगतिशील कृषक एवं कृषि उद्यमी शामिल होंगे। संगोष्ठी में र्स्टाटअप एवं उद्यमिता विकास, बाजार एवं उद्योगों से संबंध, नेटवर्किंग के अवसर, ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उन्नयन विषयों पर चर्चा की जाएगी एवं नवीन स्टार्टअप द्वारा निर्मित उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। संगोष्ठी के दौरान सफल स्टार्टअप की सफलता की कहानी भी बताई जाएगी।कृषि पोषण एवं लोक स्वास्थ्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन पौष्टिक आहार, सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व एवं पोषक तत्वों से परिपूर्ण आहार के प्रति जनजागरूकता उत्पन्न करने हेतु किया जा रहा है। इस संगोष्ठी में फूड फोर्टिफीकेशन, बायोफोर्टिफीकेशन एवं फंक्शनल फूड, पोषक खाद्य पदार्थां के उत्पाद एवं पोषण सुरक्षा, लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में खाद्य उद्यगों की भूमिका, वितरण एवं उपयोग संबंधित नीतियों एवं नियमों पर चर्चा की जाएगी। संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ शासन के कृषि, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा (मध्यान्ह भोजन) के प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्यालय, चिकित्सा महाविद्यालय, विज्ञान महाविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, यूनाईटेड नेशन्स वर्ल्ड फूड प्रोगाम, बिल एवं मिलीण्डा गेट्स फऊण्डेशन के प्रतिनिधि, प्रगतिशील कृषक, खाद्य एवं कृषि उद्योगों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की स्थापना 20 जनवरी 1987 को हुई थी। इस विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ प्रदेश में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार की जिम्मेदारी दी गई है, जिसे विश्वविद्यालय अपने 28 महाविद्यालयों, 08 अनुसंधान केन्द्रों एवं 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से संचालित कर रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चात् 52 फसलों की लगभग 162 प्रजातियों का विकास किया गया है एवं कृषि से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए 100 से अधिक तकनीकें विकसित की गई है। स्थापना दिवस समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, कुलसचिव श्री जी.के. निर्माम सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न शासकीय विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, प्रगतिशील कृषकगण तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहेंगे।
Leave a Reply