कोई भी पीवीटीजी हितग्राही वन अधिकार से ना हो वंचित


रायपुर, 23 दिसम्बर 2023 /प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) योजनांतर्गत दो दिवसीय कार्यशाला में उपस्थित विभागीय अधिकारियों से कहा गया कि कोई भी पीवीटीजी हितग्राही वनाधिकार से वंचित न रहे। आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर के ऑडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हुआ। आज की कार्यशाला व्यक्तिगत वनाधिकार धारकों को विभागीय अभिसरण के माध्यम से आजीविका संवर्द्धन हेतु प्रशिक्षण पर केन्द्रित रही।
आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के अपर संचालक श्री संजय गौड़ ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया कि व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरण का शत प्रतिशत लाभ विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों को दिलाने हेतु युद्धस्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने पीवीटीजी क्षेत्रों में व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों के वितरण पर ध्यान देने के साथ-साथ इन क्षेत्रों में पैदा हो रहे मिलेट्स के संग्रहण पर भी प्रकाश डाला। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरण में लगभग 23 हजार से अधिक वन अधिकार पत्र विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों पीवीटीजी के हितग्राहियों को प्रदाय किए गए हैं। सर्वेक्षण का कार्य जारी है, शीघ्र ही अन्य हितग्राहियों को भी इसका लाभ दिया जाएगा। श्री गौड़ ने बताया कि पीवीटीजी क्षेत्रों होने वाले सर्वे में मिलेट्स को प्रमुखता से शामिल किया जाए, क्योंकि जो पीवीटीजी इनके उत्पादन एवं संग्रहण में लगी हुई हैं, उन्हें इसका उचित मूल्य प्राप्त हो सके। यह प्रयास पीवीटीजी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में अहम सिद्ध होगा।  उपायुक्त श्री प्रज्ञान सेठ ने कार्यशाला में बताया कि पीएम जनमन योजना के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। इसके लिए ग्राम स्तर पर पीवीटीजी बसाहटों में जाकर सर्वे कर अधोसंरचनात्मक कमियों की जानकारी प्राप्त करनी होगी, ताकि उस क्षेत्र में मिशन मोड में कैंप लगाकर इन कमियों को पूरा किया जा सके।कार्यशाला में विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों की वर्तमान बसाहट एवं स्थिति, इनमें व्यक्तिगत वन अधिकार की स्थिति, सर्वेक्षण टूल Geet (GIS Enabled Entitlement Tracking System) की विस्तार से जानकारी दी गई। पूरे सिस्टम को डिस्पले के माध्यम से प्रदर्शित कर इसमें सर्वे के दौरान प्राप्त की जाने वाली सभी जानकारियों को स्टेप बाई स्टेप एन्ट्री करने के तरीके बताए गए। इस सिस्टम का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि इसमें पीवीटीजी परिवार से संबंधित सभी जानकारियां हमें एक ही स्थान पर प्राप्त हो सकेंगी, जिससे रिमोट क्षेत्र में निवासरत पीवीटीजी को आसानी से ट्रैक कर लाभान्वित करना संभव होगा। इस पूरे कार्य में एफआरए सेल की मुख्य भूमिका होगी, जबकि वनोपज आधारित आजीविका की जानकारी संग्रहण करने में मंडल संयोजक, अनुसंधान सहायक एवं सहायक अनुसंधान अधिकारी प्रमुख भूमिका निभाऐंगे। इस पूरे कार्य को आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान कॉओर्डिनेट कर रहा है। कार्यशाला में दिए गए निर्देश अनुसार 31 दिसंबर तक दो पीवीटीजी समूहों के सर्वे संबंधी कार्य को पूरा किया जाना है। इस संबंध में 3 जनवरी को ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई है। 25 जनवरी तक अधिकतम 20 ग्रामों का सर्वे कार्य पूरा किया जाना है। इसके लिए 20 फरवरी तक सभी सर्वे कार्य को विभागों, जिलों के साथ शेयर किए जाने की रूपरेखा तैयार की गई है, ताकि इस संबंध में संबंधित विभाग, जिले आवश्यकतानुसार कार्ययोजना बनाकर क्षेत्र में निवासरत पीवीटीजी समुदाय को लाभान्वित कर सकें।
उल्लेखनीय है कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों-बैगा, बिरहोर, अबुझमाड़िया, कमार एवं पहाड़ी कोरवा के संर्वागीण विकास को दृष्टिगत रखते हुए 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पीएम जनमन योजना प्रारंभ की गई है। इस संबंध में भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय से प्राप्त निर्देश अनुसार राज्यों को विस्तृत कार्य योजना बनाकर इनके समुचित विकास हेतु आवश्यक कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।इस योजना अंतर्गत 9 केन्द्रीय मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाना है। इन गतिविधियों में पक्के घर का प्रावधान, पक्की सड़क, नल से जल, समुदाय आधारित पेयजल, छात्रावासों का निर्माण, मोबाइल मेडिकल यूनिट, आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पोषण, बहुउददेशीय केन्द्रों का निर्माण, घरों का विद्युतीकरण (ग्रिड तथा सोलर पावर के माध्यम से), वनधन केन्द्रों की स्थापना, इंटरनेट तथा मोबाइल सर्विस की उपलब्धता और आजीविका संवर्धन हेतु कौशल विकास शामिल हैं। इस योजना का मुख्य लक्ष्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों का संपूर्ण विकास करना है। इन सभी गतिविधियों का क्रियान्वयन मिशन मोड में तीन वर्ष की अवधि में पूर्ण कर सभी बसाहटों को आवश्यकतानुसार अधोसरंचनात्मक रूप से सुदृढ़ बनाना है।


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