वनभैंसा संरक्षण-सम्वर्धन का अभियान उदंती में सुपर फ्लॉप


रायपुर ,18 दिसंबर 2023/  छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व और वन भैंसा संरक्षण-संवर्धन का यह बोर्ड अब अर्थ हीन हो चला है। यह एक मात्र टाइगर था जो अर्से से दिखता नहीं। और वन भैंसा संरक्षण संवर्धन का काम करोड़ रुपये के अपव्यय पश्चात हासिल आया शून्य याने फ्लॉप हो गया है। इसका खुलासा जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मिले वन विभाग के मिले एक जवाबी पत्र से हुआ जिसमें कहा गया कि सिर्फ ‘छोटू’ ही रक्तशुद्धा में सही होने का कारण प्रजनन योग्य है बाकी सब  हाईब्रीड जिसे प्रजनन नहीं कराया जा सकता ।इसके साथ साबित हो गया कि छत्तीसगढ़ वन विभाग के सारे व्यय और अभियान का कोई नतीजा नहीं मिला है। छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु के इकलौता वारिस ‘छोटू’ जंगल से पकड़ा गया था। यह रक्तशुद्धा के मामले में शतप्रतिशत रहा। अब यह कोई 22 साल का बूढ़ा हो गया है और प्राकृतिक प्रजनन योग्य नहीं है।छोटू और आशा नाम की जिस कथित  वनभैंस से लेने की  जो कथित सफलता मिली वह सभी वंशज रक्तशुद्ध नहीं अपितु हाईब्रीड निकले हैं।क्योकि कुलमाता ‘आशा’ रक्त शुद्घ नहीं थी । इनके वंशजों को संख्या 18 के करीब हो सकती है जिनके रख रखाव और दाना पानी पर वन विभाग का भारी खर्च होता था। जबकिं नस्ल शुद्धता के हिसाब से वो बेकाम हैं।इस बीच वो बाड़ा तोड़ कर निकले हैं या वनविभाग ने तंग आ कर उनको बाड़े से रिहा कर दिया है। बहरहाल उनके इस आजादी पर वन्यजीव प्रेमी नीतिन सिंघवी न प्रसन्नता जाहिर ही और कहा है अब वह जंगल स्वछंद जी लेंगे।  अब इस अनुसंधान केंद्र में राजकीय पशु वन भेंसे की वृद्वि का आगे कोई काम करना है तो बस्तर से गढ़चिरौली के इंद्रावती और जंगल में उपलब्ध सौ फीसद शुद्ध वन भैंसे के जोड़े को कैप्चर करना होगा।पर यह घूर नक्सली एरिया है इसलिये यह काम टेडी खीर है।उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में टाइगर है यह नहीं यह निश्चित नहीं। लेकिन यहां हाथियों की कमी नहीं जिन्होंने यहां पहुंच कर अपना रहवास बना लिया। इस जंगल में क्रॉस वन भेंसे  का झुंड नए मेहमान हैं।(उदंती-सीतानदी बाघ संरक्षित क्षेत्र छत्तीसगढ़ में बाघों के लिए संरक्षित आवास क्षेत्र है। इसकी स्थापना वर्ष 2008-09 में हुई है। यह 1842.54 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र में फैला हुआ है।)


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