कभी होटल में वेटर की नौकरी के दौरान मोजे न पहनने पर पड़ें थे थप्पड़ अब चुनाव जीत कर बन गए हैं विधायक


मध्यप्रदेश
भोपाल/9दिसम्बर 2023/ भारत आदिवासी पार्टी (बाप) और कमलेश्वर डोडियार. हाल ही में संपन्न हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही नामों को शायद ही कोई जानता था. लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बाद कोई तीसरा दल जीता है तो वो है बाप और इसके प्रत्याशी डोडियार.

बाइक से पहुंचे विधानसभा

रतलाम जिले के सैलाना से आदिवासी सीट पर बाप से कमलेश्वर डोडियार ने जीत हासिल की है. जीत के बाद वे पहली बार भोपाल आए. आए भी तो 350 किमी बाइक चलाकर. बाइक इसलिए क्योंकि कार का प्रबंध नहीं कर सके. बचपन से ही तंगी और गरीबी में पले डोडियार की कहानी आपको हैरान कर देगी.

पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए करनी पड़ी थी वेटर की नौकरी

डोडियार बताते हैं कि सात साल पहले दिल्ली में कानून की पढ़ाई कर रहा था. पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए पार्टटाइम वेटर की नौकरी दिल्ली के आलीशान होटल में की. वहां पार्टियों व शादियों के लिए अलग से लोग बुलाए जाते थे. मेरे पास मौजे नहीं थे. इसलिए बिना मौजे जूते पहनकर चला गया. मैनेजर ने मुझे इस हालात में देखा तो दो थप्पड़ जड़ दिए. मुझे पढ़ाई पूरी करनी थी, इसलिए मैंने चुपचाप अन्याय सहन कर लिया.

अत्यंत गरीबी के बावजूद नहीं छोड़ी पढ़ाई

कक्षा 5 तक अपनी स्कूली शिक्षा अपने पैतृक गांव राधाकुवां से की. फिर उन्होंने पास के शहर सैलाना से कक्षा 8 तक और 2013 तक रतलाम से डिग्री हासिल की. फिर उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी. बीच-बीच में माता-पिता कोटा, अहमदाबाद आदि जगह मजदूरी करने जाते थे, तो उन्हें भी उनके साथ जाना पड़ता था. तब भी पढ़ाई ऐसी छूट जाती थी. बाद में विवाह और अन्य समारोहों में खानपान सेवाओं के लिए वेटर के रूप में काम किया. लेकिन पढ़ने की ललक थी तो फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. परेशानियां आती रहीं और वे पढ़ता करते रहे. फिर भी, एलएलबी के दो पेपर अभी भी क्लीयर नहीं हुए है.

ऐसे आया चुनाव लड़ने का ख्याल

साल 2009 में बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे. उनके जीवन से प्रेरणा पाकर विधायक बनने का ख्याल आया. लेकिन उन्होंने यह बात किसी को बताने की हिम्मत नहीं की. उन्होंने कहीं पढ़ा था कि बराक ओबामा ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एलएलएम किया था. इसलिए 2016 में उन्होंने भी दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा पास कर एडमिशन ले लिया.

उनकी आदिवासी परंपरा नोतरा उनके काम आई. इसमें कुछ लोगों ने उन्हें पढ़ाई के लिए पैसे दिए. साथ ही उन्होंने छोटे-मोटे काम भी किए. जैसे नोएडा में सुबह टिफिन बॉक्स बांटना. शनिवार और रविवार को पॉश होटलों में वेटर के रूप में काम करना आदि.

साल 2018 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे 

वे जयस से जुड़ चुके थे. इससे पहले, कॉलेज में भी कई संगठनों से जुड़े थे. वे संगठन के साथ प्रदर्शन करते रहते थे. 2018 में भी चुनाव लड़े. तब 18 हजार वोट मिले थे. इसके बाद वे फिर तैयारी में जुट गये. लेकिन उनके साथ काफी राजनीति हुई.

आपके खिलाफ क्या साजिश हुई ?

डोडियार बताते हैं कि विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण मेरे पास कई मामले हैं। सबसे लंबे समय तक मैं 2020 में इंदौर जेल में चार महीने तक रहा हूं. तब मैंने बलात्कार की शिकार एक आदिवासी लड़की के लिए विरोध प्रदर्शन किया था. इसमें मुझ पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. बाद में इसे रद्द कर दिया गया. मैं जेल गया और वहां अधिकारियों को यह नहीं बताया कि मैंने 2018 में चुनाव लड़ा था, मुझे डर था कि मुझे पीटा जाएगा. मैंने संयम बनाए रखा और किसी तरह वहां अपना समय गुजारने में कामयाब रहा.

चुनाव प्रचार कैसे किया?

मैंने आपको हमारी परंपरा नोतरा के बारे में बताया था. इसके जरिए लगभग 500 लोगों से 2.38 लाख रुपए एकत्रित किए. दान भी मांगा. किसी ने 5 रुपए दिए तो किसी ने 10 रुपए. इस तरह, 30 हजार रुपए आए. प्रचार में जब थक जाता था तो उसी गांव में सो जाता था. गांव के लोगों से खाना मांगता था और अगले दिन आगे बढ़ जाता था. पूरे अभियान के दौरान मैंने केवल 5-7 बार खाना खाया और यहां तक कि 4-5 बार ही नहा पाया. गांव के सभी युवा जो जयस के साथ थे, उन्होंने मेरे लिए काम किया.

रेप के मामले में मामला क्यों दर्ज हुआ? 

मेरी सगाई जिस लड़की से तय हुई थी उसके परिजन कांग्रेस से जुड़े थे. वे मेरे जयस के साथ काम करने के खिलाफ थे, इसलिए शादी टूट गई. बाद में मैंने दूसरी लड़की से शादी की तो उसने मुझ पर रेप का मामला दर्ज कर दिया. मैं जेल में रहा. लेकिन मेरी पत्नी ने पूरा साथ दिया. अग्रिम जमानत के लिए जब मैं इधर-उधर भाग रहा था. तब का एक वाक्या मुझे हिला देता है. जंगल में छिपा हुआ था. तब एक दिन मैंने अपनी पत्नी से कुछ सामान मंगाया. जब वह वहां आई. तभी यह अफवाह फैल गई कि पत्नी का पीछा करते हुए पुलिस भी वहां पहुंच रही है. मैं गिरफ्तारी के डर से नदी में कूद गया. तब मेरी पत्नी भी बिना डरे मेरे साथ कूद गई.

चुनाव जीतने पर माता-पिता की प्रतिक्रिया 

मां ने कहा कि यह अच्छा है अब मुझे मजदूर के रूप में काम नहीं करना पड़ेगा. और पिता ने कहा कि जीत गए हो, इसलिए अब निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करो और जनता के सच्चे सेवक के रूप में अपनी पहचान बनाओ.


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