कांग्रेस सांसद धीरज साहू के घर ईडी का छापा अब तक 260 करोड़ नगदी बरामद 8 मशीनों से जारी है नोटों की गिनती


नई दिल्ली/9 दिसम्बर 2023/  कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ठिकानों से आयकर विभाग ने भारी मात्रा में नकद बरामद किये हैं. इस छापेमारी ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है. अकूत धन का ठिकाना आयकर विभाग ने खोज निकाला है. 30 बड़ी अलमारियों में पैसे भरे हैं. बैगों में भी नोट मिले हैं, जिनकी गिनती जारी हैं. अब तक 260 करोड़ की गिनती हो चुकी है. आंकड़ा 300 करोड़ से पार जाने वाला है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नोटों को गिनते गिनते मशीनें भी खराब हो जा रही हैं लिहाजा नोट गिनने नई मशीनों को मंगवाया गया. इस कार्य में 30 से ज्यादा बैंक कर्मचारी लगे हुए हैं.

सूत्रों के अनुसार पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान जांच एजेंसियों की नजर चुनावी खर्च और पैसों के लेन-देन पर रही थी. चुनाव के समय से ही अलग-अलग राज्यों में व्यवसायी और राजनीतिक करीबियों पर जांच एजेंसी नजर बनाये हुए थी. इसी कड़ी में एक महीने पूर्व मध्य प्रदेश और चार महीने पहले राजस्थान में आइटी की छापामारी हुई. धीरज साहू से जुड़ी कंपनियों पर भी जांच एजेंसी की नजर थी. मध्य प्रदेश के सोम डिस्टिलरी और राजस्थान में एक दल के करीबी कल्पतरु नाम की कंपनी पर छापामारी की गयी. यहां से आयकर विभाग को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले.


धीरज साहू, राज्यसभा सांसद (कांग्रेस)

इधर धीरज साहू की कंपनियों को नकद जमा करने का संभवत: निर्देश था. सूत्रों के अनुसार, यह अनुमान लगाया जा रहा था कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में किसी भी दल की सरकार न बने. स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की सूरत में जोड़-तोड़ की सरकार बनती. खरीद-फरोख्त की नौबत आती, तो इन पैसों का इस्तेमाल किया जाता.

जांच एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर किस कारण से कंपनी बैंक में पैसे जमा नहीं करा रही थी. जांच एजेंसी का मानना है कि यह राशि महीने-दो महीने के शराब की नियमित बिक्री की हो सकती है. बैंक में पैसे जमा कराने के बाद उसे निकालकर खर्च करना मुश्किल था. ऐसी परिस्थिति में पैसे को इकट्ठा करना ही मुनासिब समझा गया होगा.

घर में कैश रखने की क्या है सीमा?

काला धन रोकने के लिए सरकार ने कैश लेनदेन से जुड़े कई नियम बनाये हैं. आयकर कानून घर में कैश रखने पर कोई सीमा लगाने का प्रावधान नहीं करता है. आप घर में जितना चाहें, उतना कैश रख सकते हैं. घर में कैश रखना बिल्कुल अवैध नहीं है, बशर्ते सारा कैश आपकी कानूनी कमाई का हिस्सा होना चाहिए. इस मामले में आयकर विभाग के प्रावधानों के अनुसार, छापेमारी के बाद यदि बेहिसाबी धन रखने वाले लोग इसका स्रोत नहीं बता पाएंगे तो उन पर टैक्स और जुर्माना, दोनों लगेगा.

कैश का स्रोत बताना जरूरी

अगर किसी के घर या परिसर में आयकर विभाग छापा मारता है, तो उस कैश का स्रोत बताना जरूरी होता है. ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई तय है. इसका मतलब साफ है कि कोई भी चाहे जितना भी कैश रखे, वह काला धन नहीं होना चाहिए. उस कैश के स्रोत के बारे में एक सार्वजनिक उत्तर होना चाहिए. जैसे- इतना सारा कैश कहां से आया है, इसका स्रोत क्या है, इसका सही जवाब होना चाहिए.

कितना लग सकता है जुर्माना?

कई लोग अपने घर में बहुत सारा कैश रखते हैं. यह किसी के लिए शौक होता है और किसी के लिए जबरदस्ती होती है. एक व्यापारी के घर में कैश मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. वह थोड़े दिनों बाद या अपनी सुविधा के अनुसार बैंक में कैश जमा करता है, लेकिन तब तक बहुत सारा कैश इकट्ठा हो जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी के घर में आईटी छापा में बहुत सारा कैश मिलता है और अधिकारियों को इसके कानूनी स्रोत के बारे में बता नहीं पाते हैं या कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकते हैं, तो क्या होगा? ऐसे में, आयकर विभाग की टीम वह गैर-मान्यता वाला कैश जब्त कर देगी और 137 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है.

जब्त किया हुआ कैश कहां जाता है?

नगद की जब्ती के बाद उसका आकलन किया जाता है. इसके बाद जब्त हुई राशि की बाकायदा एक विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है. भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बरामद रकम की गिनती करने के लिए बुलाया जाता है. इस दौरान नोट गिनने की मशीन की मदद से नोटों की गिनती खत्म होने के बाद बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार होती है. इसके बाद जब्त हुई नगद राशि को किसी भी सरकारी बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाता है.

जब्त रुपयों का इस्तेमाल कहां होता है?

जब्त किये गए रुपयों का इस्तेमाल विभाग, बैंक या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता है. विभाग एक अंतिम कुर्की आदेश तैयार करता है और उसे जारी करता है. कुर्की की पुष्टि करने के लिए मामला अदालत के सामने जाता है. इसके बाद मुकदमा समाप्त होने तक पैसा बैंक में पड़ा रहता है. इसके बाद यदि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो नकद राशि केंद्र की संपत्ति बन जाती है और यदि आरोपी को अदालत द्वारा बरी कर दिया जाता है, तो नकद राशि वापस कर दी जाती है.


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