रायपुर, 24 अक्टूबर 2023 / आज विजयदशमी है। देशभर में रावण के पुतले का दहन किया जाएगा, वहीं कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां दशानन की पूजा-आराधना कर मनोकामना मांगी जाती है। देश में कई जगहों पर रावण की पूजा करने की परंपरा के बारे में आपने देखा और सुना भी होगा। आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक गांव में रावण की पूजा करने की खबर बता रहे हैं। यहां के लोगों की लंकेश्वर पर पूरी आस्था है। पूजा-पाठ कर अपना मनोरथ मांगते हैं। गांव के लोग साल में एक बार रावण का जन्मदिन भी मनाते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि रावण जैसा विद्वान, ज्ञानी, शक्तिशाली, बलशाली कोई नहीं था। रावण को उनके अहंकार ने मारा। रावण का जीवन एक संदेश है… अच्छाई और सत्य के मार्ग पर चलो।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे धरसींवा विधानसभा का मोहंदी एक ऐसा गांव हैं, जहां लंकाधिपति रावण महाराज पर ग्रामीणों की अटूट आस्था है। दशानन महाराज ग्रामीणों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। गांव के सरपंच ग्राम सभा अध्यक्ष और ग्रामीणो की मानें तो जब से गांव में रावण महाराज की प्रतिमा स्थापित हुई, तब से गांव में कोई संकट नहीं आया है। ग्रामीण महिलाएं बताती हैं संतान प्राप्ति की कामना हो या गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव की बात… रावण की पूजा कर श्रीफल अर्पित करने पर मनोकामना पूरी होती है। यहां रावण की स्थापना 95 साल पहले गांव के एक मालगुजार ने की थी, तभी से हर साल दशहरे पर ग्रामीण सामूहिक पूजन करते आ रहे हैं। हर साल 31 दिसंबर को रावण महाराज का जन्मदिन भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा और भंडारा भी होता है।
हर शुभ काम में रावण महाराज की पूजा-अर्चना
मोहंदी गांव की भगवती वर्मा ने बताया कि अगर किसी तरह की विपत्ति आ जाए और लंकेश के समक्ष मनोकामना मांगो तो वह पूरी हो जाती है। गांव की विमला वर्मा बताती हैं महिलाओं के प्रसव पीड़ा, सामान गुमने, मवेशियों का कष्ट हरने सभी मौकों पर दशानन महाराज को याद किया जाता है। रामपुर निवासी दशरथ वर्मा ने बताया, मोहंदी के लोग ही नहीं बल्कि दूसरे गांवों के लोगों की रावण महाराज पर बहुत आस्था है। हर शुभ काम में रावण महाराज को पूजा जाता है। रावण महाराज गांव के ईष्टदेव हैं। 31 दिसंबर को रावण का जन्मदिन और भंडारा
मोहंदी के ग्राम सभा अध्यक्ष दर्शन वर्मा बताते हैं हमारे गांव के रावण महाराज हर समस्या का समाधान करते हैं। कुछ सामान के गुमने, कष्टों को दूर करने और लोगों की मनोकामना को रावण महाराज पूरा करते हैं। 31 दिसंबर को रावण महाराज का जन्मदिन मनाते हैं। भव्य उत्सव के साथ भंडारा और पूजा-पाठ का आयोजन रावण मैदान में करते हैं। उनका कहना है कि रावण जैसा विद्वान, ज्ञानी, शक्तिशाली, बलशाली कोई नहीं था। रावण में एक कमी थी अहंकार। विजयदशमी पर लोग रावण के सिर्फ अहंकार का वध करते हैं, यानी अहंकार का पुतला जलाते हैं।
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