पहले दृष्टि, फिर सृष्टि‘ कि थीम पर मनाया जाना है विश्व दृष्टि दिवस

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बेमेतरा 11 अक्टूबर 2023 राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम जिला बेमेतरा अंतर्गत प्रतिवर्ष अक्टूबर माह के द्वितीय गुरूवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है, इस वर्ष 12 अक्टूबर 2023 को विश्व दृष्टि दिवस कार्यक्रम मनाया जाना है। इसका उद्देश्य जन सामान्य को दृष्टि की सुरक्षा, दृष्टिहीनता के कारण, इसके बचाव तथा उपचार के विषय में जानकारी देना है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गणेश लाल टंडन के मार्गदर्शन में सहायक नोडल अधिकारी (अंधत्व) श्री विजय ने बताया कि लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति दृष्टिदोष से पीड़ित है, जिसे चश्में से ठीक किया जा सकता है। 16 वर्ष से कम आयु के लगभग 0.8 प्रति हजार बच्चे दृष्टिहीनता से पीड़ित है। भारत में 90 लाख से लेकर एक करोड़ बीस लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन हैं, हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नए मामले सामने आते हैं। 75 प्रतिशत नेत्रहीनता समय पर सही ध्यान देने से बचाया जा सकता है।
प्रत्येक छः माह में अपने आंखों की जांच नेत्र विषेशज्ञ से अवश्य करावें। प्रति दिन सुबह उठकर एवं रात को सोते समय ऑख एवं ऑख के चारो ओर की त्वचा को साफ पानी से धोयें। ऑखों और चेहरे को साफ करने के लिए साफ और अपना अलग तौलिया इस्तेमाल करें। धूप और बहुत तेज रोशनी से ऑखों को बचायें। अच्छें किस्म के चश्में/गागल्स का उपयोग करें। ऑखों को दुर्घटना से बचायें जैसेः- आतिशबाजी, तीर कमान, गिल्ली डंडा खेलते समय सावधानी बरतें। ऑखों में कुछ गिर जाये तो ऑख को मलिये नहीं एवं साफ पानी से ऑख धोकर बाहरी कण को बाहर निकाल दें। पुस्तक को ऑखों से 1 से डेढ़ फीट की दूरी पर रखकर पढ़ें। चलती बस में या लेटे हुए या बहुत कम प्रकाश में कभी भी न पढ़े। इससे ऑखो पर जोर पड़ता है, पर्याप्त प्रकाश में पढ़े।
रतौंधी से बचने के लिए हरे पत्तेदार सब्जी, गाजर, पपीता, आम, कद्दू, शकरकंद, दूध, मछली एवं अण्डे आदि आहार के साथ लेवें। शिशु को 09 माह से 05 वर्ष तक प्रत्येक 06 माह के अंतराल से विटामिन ए का घोल पिलाये अर्थात कुल 09 बार विटामिन ए की खुराक दें। ऑखो का इलाज स्वयं ना करे तथा नीम हकीमों से न करायें तुरंत इलाज अथवा सलाह के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल जायें। बच्चों/छात्रों में दृष्टिहीनता मुख्यतः दृष्टिदोष के कारण होती है। आंखो को स्वस्थ्य रखने के लिए प्रतिदिन हरी घास पर खाली पांव चलें। समय से पहले (07 माह) जन्म लेने वाले बच्चे का नेत्र परीक्षण कराना अति आवश्यक है, क्योकि इनमें रेटिनोपेथी होने की संभावना रहती है। 40 वर्ष एवं अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को वर्ष में एक बार नेत्र परीक्षण कराना चाहिये। 40 वर्ष केे बाद नजदीक के पढ़ने-लिखने के लिए चश्में की आवश्यकता होती है, साथ ही बल्ड प्रेशर एवं बल्ड शुगर की जांच कराना चाहिये। जिन लोगों को नजदीक के चश्में का नबंर बार-बार बदलता है या फिर सामने की वस्तु साफ दिखायी देता है, परंतु अगल-बगल की वस्तु साफ दिखायी नहीं देता है या आंखों में अचानक दर्द होता है तो उन्हें ग्लॉकोमा (काला मोतियाबिन्द) होने की संभावना रहती है। मोतियाबिन्द से पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर ऑपरेशन कराने से ठीक किया जा सकता है। अत्यधिक मोबाईल का उपयोग तथा तीव्र प्रकाश एवं असुरक्षित बल्ब के कारण ऑखो में दर्द, चुभन, लाल होना, आंसू, दृष्टि में धुधलापल और सूजन की समस्या होती है, अतः सावधानी बरतें।


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