सेनेटरी पेड बनाकर समूह की महिलाएं कमा रही मुनाफा

0

जांजगीर-चांपा 04 अक्टूबर 2023 /लोगों की सोच बदलने के लिए विचारों को बदलना पड़ता है, और जब सोच बदल जाती है तो फिर हर वह काम आसान हो जाता है जो आप करना चाहते है, ऐसा ही एक कार्य शुरू किया भारती स्व सहायता समूह की महिलाओं ने, जिसकी आज हर तरफ तारीफ हो रही है। यह महिलाएं सेनेटरी पेड निर्माण करते हुए न केवल आमदनी अर्जित कर रही बल्कि स्कूली छात्राओं, महिलाओं को जागरूक भी कर रही है।चलिए हम आपको ले चलते हैं पामगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत पेंड्री, जहां पर भारती स्व सहायता समूह द्वारा 2019 से सेनेटरी पेड का निर्माण कार्य शुरू किया। समूह की अध्यक्ष बताती है कि सेनेटरी पेड निर्माण को लेकर पहले बहुत सी समस्याएं थी, जब भी इसको लेकर गांव में चर्चा करते थे, तो महिलाओं में एक हिचकिचाहट होती थी। इस हिचकिचाहट को कैसे दूर किया जाए इसको लेकर समूह की महिलाआंे को शासन के माध्यम से मिले प्रशिक्षण ने और अधिक मजबूत बनाया और जब भी समूह की महिलाएं गांव की महिलाओं, स्कूली छात्र-छात्राओं से सेनेटरी पेड को लेकर बाद करती तो शुरूआती झिझक के बाद बड़े ही आसानी से उनकी बातों को सुना जाने लगा। धीरे-धीरे उनका सेनेटरी पेड निर्माण का कार्य बढ़ता गया। समूह की अध्यक्ष एवं सचिव बताती है कि उन्हें शासन की छत्तीसगढ महिला कोष की ऋण योजना के तहत परियोजना पामगढ़ के परिक्षेत्र मेंउ के ग्राम पेंड्री के भारती स्व सहायता समूह को आर्थिक रूप से मदद प्राप्त हुई। इस मदद ने उन्हें सशक्त और मजबूत बनाया। फरवरी 2019 में उनके समूह को 30 हजार रूपए का लोन प्राप्त हुआ। जिसमें उनके द्वारा अपनी बचत राशि को मिलाकर सेनेटरी पेड निर्माण के लिए मशीन खरीदी।
 प्रतिमाह कमा रही 20 हजार रुपए
भारती स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सेनेटरी पेड निर्माण को लेकर अपने जो कदम बढ़ाये उन्हें कभी पीछे नहीं होने दिखा बल्कि दुगुनी तेजी से और आगे बढ़ी। समूह की महिलाएं बताती हैं कि अगर आप कुछ करने का जज्बा रखते हैं तो मंजिल को पाना मुश्किल नहीं होता है और इस मंजिल को पहुंचाने में शासन की योजनाओं को महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उनके इस कार्य को बढ़ाने के लिए वर्ष 2022-23 में महिला एवं बाल विकास परियोजना के द्वारा की गई अनुशंसा के बाद फिर से 1 लाख रूपए का लोन स्वीकृत किया गया। समूह की महिलाएं बताती हैं कि उनके द्वारा तैयार किये जा रहे सेनेटरी पेड कन्या छात्रावास, स्कूलों व प्राइवेट दुकानों में विक्रय किया जा रहा है, जिससे उन्हें प्रतिमाह 20 हजार रूपए की आमदनी हो रही है, जिससे उनके समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत बनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर रही है। वह कहती हैं कि जब भी उन्हें जरूरत पड़ी शासन की योजनाओं से उन्हें मदद मिली है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ताजा खबरें