भोपाल , 26 सितम्बर , 2023 /
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश के विकास और निर्माण में सभी मुख्यमंत्रियों को अतुलनीय योगदान रहा है। सभी ने अपने-अपने स्तर पर जन-कल्याण और विकास के श्रेष्ठतम कार्य किए। उनके योगदान को हम सब नमन करते हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय प्रांगण में पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं के अनावरण अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं की स्थापना से भोपाल में एक नए संग्रहालय का शुभारंभ हुआ है। मंत्रालय प्रांगण का यह प्रतिमा संग्रहालय प्रदेशवासियों के साथ अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों के लिए भी एक प्रेरणा स्थल बनेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्रद्धये पं. रविशंकर शुक्ला,भगवंतराव मण्डलोई ,कैलाश नाथ काटजू, द्वारिका प्रसाद मिश्र, गोविन्द नारायण सिंह, राजा नरेश चन्द्र, श्यामाचरण शुक्ल, प्रकाश चन्द्र सेठी, वीरेंद्र कुमार सखलेचा, सुन्दरलाल पटवा, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, बाबूलाल गौर का स्मरण किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। उनके परिजनों से भेंट कर उनका शाल,श्रीफल से स्वागत किया तथा परिजनों के साथ फोटो सेशन करवाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मध्यप्रदेश गान के बाद दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार उपस्थित थे।
प्रदेश में कई भाषाएँ, बोलियाँ औऱ संस्कृतियाँ समाहित हैं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश का गठन 1 नबम्वर 1956 को हुआ। विंध्यभारत, मध्यभारत, महाकौशल और तत्कालीन मध्यप्रांतों के कुछ हिस्सों तथा भोपाल स्टेट को मिलाकर मध्यप्रदेश अस्ततित्व में आया। हमारा प्रदेश बाकी राज्यों से अलग था, मध्यप्रदेश एक भाषा अथवा एक ही संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला राज्य नहीं था, इसमें कई भाषा, बोलियां औऱ संस्कृतियां समाहित हैं। एक नवम्बर 2000 को अलग पृथक राज्य छत्तीसगढ़ का गठन हुआ, जिससे मध्यप्रदेश का भौगोलिक स्वरूप परिभाषित हुआ। आगामी 1 नबम्बर को मध्यप्रदेश को बने 67 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इन वर्षों में मध्यप्रदेश ने विकास की एक लम्बी मंजिल तय की है।
स्थापित मूर्तियां हमारी भावनाओं का प्रतिबिम्ब हैं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जब नया वल्लभ भवन बना तब ही भाव आया कि मध्यप्रदेश के निर्माण और विकास में जिन मुख्यमंत्रियों का योगदान रहा है उनकी प्रतिमाएँ स्थापित कर उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाया जाए। इसी सोच की परिणीति आज कार्यक्रम में हो रही है। समिति कक्ष में पहले से ही सभी महानुभावों की तस्वीरें लगी हैं, पर उस कक्ष में कम लोग ही जा पाते हैं। आज स्थापित मूर्तियां हमारी भावनाओं का प्रतिबिम्ब हैं। प्रदेश के विकास में इन विभूतियों के योगदान से हमें सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी।
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