भोपाल, 27 अगस्त 2023 /
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि देश की प्रगति के लिए अभियंता और वैज्ञानिक दोनों आवश्यक हैं। जनजातीय बहुल क्षेत्र झाबुआ में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत करीब आठ वर्ष पूर्व खोला गया इंजीनियरिंग कॉलेज वर्ष 2019 में बंद करने के आदेश दे दिए गए। वर्ष 2020 में पुन: मुख्यमंत्री बनने के बाद मेरे संज्ञान में यह बात आयी और मैंने महाविद्यालय पुन: प्रारंभ करने के निर्देश दिए। आज लगभग 36 एकड़ क्षेत्र में नवनिर्मित कॉलेज भवन का लाभ 500 से अधिक विद्यार्थियों को प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज झाबुआ में 34 करोड़ 65 लाख की लागत के नवनिर्मित यूआईटी इंजीनियरिंग कॉलेज भवन के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वी.डी. शर्मा, सांसद श्री जी.एस. डामोर के साथ ही विधायक श्रीमती निर्मला भूरिया और अन्य जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे।
भारत की गौरव गाथा गा रहा है चंद्रयान
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि झाबुआ का यह महाविद्यालय भवन पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। भारत ने हाल ही में चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान उतारा है। इससे प्रत्येक देशवासी गौरवान्वित है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने डॉ. कलाम का सपना साकार करने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री सहित राष्ट्रवासियों को इस विशेष उपलब्धि के लिए बधाई दी।
इंजीनियरिंग के साथ पढ़ाएंगे हेप्पीनेस और जीवन मूल्य
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि झाबुआ के इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं के अध्ययन के साथ ही कम्युनिटी इंगेजमेंट, हेप्पीनेस और जीवन मूल्य विषय भी विद्यार्थियों को पढ़ाए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों में भी क्षमताएँ होती हैं, उन्हें अध्ययन के पूरे अवसर मिलना चाहिए।
हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाएं भी महत्वपूर्ण
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिन्दी में प्रारंभ की गई है। इसका उद्देश्य राष्ट्रभाषा के सम्मान के साथ ही योग्य विद्यार्थियों को भी आसानी से शिक्षा उपलब्ध करवाना है। जापान, जर्मनी और फ्रांस सहित कई देशों में अंग्रेजी में अध्ययन के स्थान पर उन देशों की भाषाओं में ही शिक्षा दी जाती है। क्षेत्रीय भाषाएं और हिन्दी विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में योग्य बना सकती हैं।
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