रायपुर/13 जून 2023। जयरामनगर के पास एक ही पटरी में आमने-सामने दो ट्रेनों के आने को रेलवे की लापरवाही करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद रेल मंत्रालय भगवान भरोसा चल रही है रेलवे में लगातार तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही है समय पर लोगों को ट्रेन नहीं मिलता है अचानक ट्रेन रद्द हो जाती है और कई बार तो ऐसा हुआ है कि जिस ट्रेन को उत्तर प्रदेश जाना था वह ट्रेन उड़ीसा चली गई है ऐसे गंभीर लापरवाही सामने आ रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि ओडिशा के बालेश्वर जिले में हुई भीषण रेल दुर्घटना और उसमें हुई हजारों की मौत और हजारों के घायल होने के बाद राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान हुआ है उससे रेल मंत्रालय में कोई सुधार नहीं हुआ है उस दुर्घटना से रेल मंत्रालय ने कोई सबक नहीं लिया है ऐसा लगता है कि रेल मंत्रालय ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है इसलिए लगातार इस प्रकार की लापरवाही हो रही है वर्तमान में छत्तीसगढ़ के जयराम नगर के पास एक ही पटरी पर एक ही समय में दो अलग-अलग दिशाओं से मालगाड़ी और पैसेंजर ट्रेन का आना रेल मंत्रालय की लापरवाही को दर्शाता है ईश्वर की कृपा से कोई बड़ा हादसा नहीं हो पाया नहीं तो इस बात से इंकार नहीं कि उड़ीसा के बालेश्वर जिले में हुई घटना की तरह ही त्रासदी छत्तीसगढ़ में भी होती।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि भारतीय रेल रोज़ाना करीब 2.2 करोड़ से ज़्यादा यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाती है, मतलब ऑस्ट्रेलिया की पूरी जनसंख्या के लगभग लोग इस देश की रेल की पटरियों से रोज़ सफ़र करते हैं और ऐसे लोगों के सफ़र की चिंता करने के बजाय मोदी सरकार दोष मढ़ने, कहानियाँ रचने और इन्द्रजाल बनाने में लगी हुई है। 3 दिन पहले 288 लोग मतलब क़रीब 300 लोगों की जान चली गई है और आज भी इस सवाल का जवाब नहीं है लेकिन सरकार किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ने में मशगूल है। तो कल जब हम और आप रेल से सफ़र कर रहें हो तो याद रखियेगा आप अपने रिस्क पर हैं क्योंकि रेल में होने वाली लापरवाही की किसी की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि कैग की रिपोर्ट के मुताबिक़ राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 79 प्रतिशत फंडिंग कम किए जाने का कारण क्या है? ट्रैक की मेंटेनेंस के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष के लिए सालाना 20,000 करोड़ रुपए के जिस बजट का वादा किया गया था, वो क्यों आवंटित नही हुआ। 3,00,000 से ज़्यादा पद रेलवे में रिक्त क्यों पड़े हुए हैं? 8,000 पद जो पीएमओ और कैबिनेट कमेटी द्वारा भरे जाने थे, वे क्यों नहीं भरे गए?लोको चालक, जो अत्यंत संवेदनशील और सुरक्षा से संबंधित कार्य करता है, उससे 12 घंटे से ज़्यादा ड्यूटी क्यों कराई जा रही है? लोको चालकों को कमी क्यों है?
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