भोपाल जून 11 2023/भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) की मोबाइल बस ‘स्पेस ऑन व्हील्स’ शुक्रवार को बावड़िया कलां स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) पहुंची। इस बस ने इसरो की उपलब्धियों व तकनीकियों से सभी विद्यार्थियों सहित आमजन को परिचित करवाया। इसमें भारत के स्पेस प्रोग्राम जैसे मंगलयान और चंद्रयान सहित विविध मॉडल्स एवं प्रदर्शनियां देखने को मिलीं।
इसरो व अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में जानेंगे जनजातीय विद्यार्थी
जनजातीय कार्य विभाग की उपसचिव मीनाक्षी सिंह ने इस प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। उन्होने बताया कि जनजातीय कार्य विभाग प्रदेश भर के अपने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, जनजातीय सीएम राइज विद्यालय, कन्या शिक्षा परिसर, मैपसेट केन्द्र एवं आदर्श आवासीय विद्यालय सहित विभागीय छात्रावास व आश्रम में पूरे वर्ष इस इसरो बस प्रदर्शनी को आयोजित करने के लिए मेपकास्ट के नेतृत्व व विज्ञान प्रसार विभाग के साथ संयुक्त योजना पर कार्य कर रहा है। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. यशपाल सिंह ने कहा कि इस प्रदर्शनी से जनजातीय विद्यार्थियों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि विकसित होगी और वे इसरो के गौरवशाली इतिहास को करीब से देख सकेंगे। इस अवसर पर विभाग के शिक्षा सलाहकार आशुतोष श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।
अंतरिक्ष विज्ञान को पहुंचाएंगे जन-जन तक
इसरो के माध्यम से इस बस का संचालन मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) द्वारा किया जा रहा है। मेपकास्ट के विज्ञान एवं तकनीक विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक विकास शेंदे ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य प्रदेश के हर जिले में दूरस्थ अंचलों तक इसरो की उपलब्धियों व अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जन-जागरूकता का प्रसार करना है। इंडियन स्पेस प्रोग्राम में अवेयरनेस लाने में बच्चे योगदान दे सकते हैं।
इसरो की बस में दिखा चंद्रयान और मंगलयान
इस बस में इसरो के अलग-अलग स्पेस मिशन्स के डिस्प्ले मॉडल्स लगाए गए हैं। इनमें नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटिलेशन, इंडियन रिमोर्ट सेंसिंग एप्लीकेशन, इंडियन सैटेलाइट कम्युनिकेशन एप्लीकेशन, चंद्रयान, मंगलयान सहित कई मिशन के मॉडल्स मौजूद हैं। साथ ही इसमें इसरो व भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित विभिन्न लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी होता है।
गगनयान को छूकर बारीकी से देखा
इस बस में इसरो द्वारा लॉन्च किए व्हीकल, इसरो प्रोग्राम्स गगनयान, चंद्रयान के मॉडल के साथ ‘नाविक’ और ‘भूवन’ सैटेलाइट भी देखने को मिले। इससे जनजातीय बच्चे जान सकेंगे कि इसरो कैसे काम करता है।
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