पटवारी को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां हैं लोगों में। आइए उन भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करते हैं।


रायपुर 29 मई 2023/

(वैसे आजकल छत्तीसगढ़ के पटवारी हड़ताल पर हैं। इसके कारण बहुत सारे काम रूके हुए हैं। लोग परेशान हैं)

*2 मिनट का समय दीजिए इसे पूरा पढ़ने में*

एक पटवारी को अपने हल्के में काम करने के लिए पहले निम्नलिखित तैयारी करनी पड़ती है।

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1 *कार्यालय की व्यवस्था*- पटवारियों को अपना कार्यालय खोलने के लिए सबसे पहले एक भवन किराए से खोजना पड़ता है । जिसका औसत किराया (3000₹ प्रतिमाह) होता है।

2 *रिकॉर्ड रखने के लिए अलमारी या पेटी की व्यवस्था*- इसके बाद उसे जमीनों का शासकीय रिकॉर्ड रखने के लिए एक अलमारी खरीदना पड़ता है। जिसका मूल्य औसतन 8,000 रुपए का होता है।

3 *बैठने के लिए टेबल कुर्सी की व्यवस्था*- इसके बाद उसे टेबल कुर्सी खरीदना पड़ता है जिसमें करीब 10,000 खर्च आता है।

4 *संसाधन की व्यवस्था*- इसके बाद सबसे जरूरी चीज जो उसे खरीदना पड़ता है वह है लैपटॉप (50,000₹) प्रिंटर (30,000₹) स्कैनर (15,000₹) और इंटरनेट का कनेक्शन (500₹प्रतिमाह) डिजिटल सिगनेचर डिवाइस (1600₹ प्रतिवर्ष)।

यानी लगभग ₹70000 का खर्च एक पटवारी को अपने कार्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए खर्च करना पड़ता है। जिसके लिए किसी प्रकार का कोई भी खर्चा शासन की ओर से नहीं दिया जाता है।

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*अतिरिक्त हल्के का खर्च* जब किसी पटवारी को अतिरिक्त हलके का चार्ज दिया जाता है तो शासन की ओर से केवल 250₹ प्रतिमाह मिलता है जबकि आप समझ सकते हैं कि एक हल्के का खर्च कितना आ रहा है उस हिसाब से दूसरे हल्के में काम करने में उसे कितनी कठिनाई होती होगी।

 

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*पटवारियों का प्रमोशन वरिष्ठता के आधार पर हो*-कई बार ऐसा भ्रम फैलाया जाता है कि पटवारी प्रमोशन नहीं चाहते। जबकि यह एक झूठ है। शुरू से पटवारी प्रमोशन के लिए आंदोलित रहें हैं। छत्तीसगढ़ में करीब 50% पटवारी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी सेवा का 20 वर्ष पार कर लिया है। लेकिन उन्हें एक भी प्रमोशन नहीं मिला। आप समझ सकते हैं कि एक ही काम करते-करते व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ जाता है और शर्मिंदगी भी महसूस होती है। सीधी भर्ती और विभागीय कंपटीशन से नए कम उम्र बच्चों का सिलेक्शन शासन के द्वारा राजस्व निरीक्षक और नायब तहसीलदार में कर लिए जाने के कारण अपने से छोटे उम्र अधिकारियों के नीचे काम करना अपने आप को ग्लानि में ला देने से ज्यादा कुछ नहीं है।

एक वरिष्ठ पटवारी नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि जिस लड़के को मैंने काम करना सिखाया। वह डिपार्टमेंटल कंपटीशन पास करके आर आई बन जाता है और हम पर ही धौंस जमाता है। इससे आत्म बल टूट जाता है।

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*स्टेशनरी भत्ता* एक पटवारी को अपने कार्यालय को चलाने के लिए हर महीने कलम पेंसिल रबर कार्बन पेपर की जरूरत पड़ती है। महंगाई के हिसाब से इन सब का मूल्य बढ़ चुका है। लेकिन शासन द्वारा पुराने रेट में ढाई सौ रुपए स्टेशनरी भत्ता दिया जाता है। जो कि बहुत कम है शर्मनाक है।

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*स्नातक योग्यता*-पटवारी की भर्ती के लिए कम से कम पीजीडीसीए की मांग की जाती है। पीजीडीसीए याने ऐसा व्यक्ति जो स्नातक हो चुका है उसके पास कंप्यूटर डिप्लोमा भी है। लेकिन पटवारी की योग्यता अभी भी 12वीं पास रखी गई है। यह हास्यास्पद है कि एक तरफ आप कंप्यूटर शिक्षित व्यक्ति मांग रहे हैं। दूसरी तरफ आप 12वीं क्लास तक पढ़ा व्यक्ति मांग रहे हैं। इसे तुरंत स्नातक योग्यता किया जाना चाहिए जोकि तर्कसंगत भी है।

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*मुख्यालय में निवास की बाध्यता*- यह नियम अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था। जब आवागमन के साधन नहीं थे। ताकि पटवारी गांव में रहकर ग्रामीणों अपनी सेवाएं दे सके। अब साधन संसाधन बढ़ चुके हैं। पटवारी नियमानुसार 8 घंटे का समय देकर अपने निवास में आ सकता है। तथा ग्राम के बहुत सारे ऐसे कर्मचारी हैं जो कि मुख्यालय में नहीं निवास करते हैं। लेकिन सिर्फ पटवारी पर यह दबाव बनाया जाता है कि वह मुख्यालय में निवास करें यह तर्कसंगत नहीं है। इस बाध्यता को हटा दिया जाना चाहिए। तहसील मुख्यालय या जिला मुख्यालय में निवास करने की छूट देनी चाहिए।

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*पटवारियों पर सीधे FIR ना हो*

जमीनों के मामले संवेदनशील होते हैं। कई बार अधिकारियों के आदेशानुसार यह रजिस्ट्री के अनुसार पटवारियों को काम करना पड़ता है। इसमें मानवीय त्रुटि की संभावना है। इसलिए जब कोई व्यक्ति आहत होकर तक पुलिस में रिपोर्ट करता है। तो तुरंत पटवारी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हो जाती है। कई साल बाद जांच के पश्चात ज्ञात होता है कि पटवारी निर्दोष था। लेकिन उसे बदनामी और जहालत की जिंदगी झेलनी पड़ती है। इसीलिए ऐसा कोई भी प्रकरण जिसमें प्रथम दृष्टया पटवारी की गलती लगती है। उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विभागीय जांच करवाई जाए और गलती पाने पर ही F I R के लिए भेजा जाए ।

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*वेतन विसंगति*-

जैसा कि आप सभी को मालूम है कि पटवारी के ऊपर काम का बड़ा बोझ होता है ऐसी स्थिति में उसे वेतन विसंगति का भी सामना करना पड़ता है। वेतन विसंगति के की को ठीक करने की मांग पहले भी की जाती रही है। लेकिन इस मांग को शासन ने स्वीकार करने का कभी पहल नहीं किया ।नियमानुसार पटवारियों को 2800 ग्रेड पे के अनुसार वेतन प्रदाय करना चाहिए जो की युक्तिसंगत है।

मुझे मुझे लगता है कि आप पटवारी की समस्याओं से परिचित हो गए होंगे और पटवारियो के 8 मांगों को लेकर सहमत होंगे। तो जरूर आप इस मैसेज को अपने करीबी दोस्तों रिश्तेदारों तक फॉरवर्ड करिए ताकि लोग सच्चाई जान सके।


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