आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता जोशी CG PSC में हुई चयनित
महासमुन्द। जिले के पिथौरा ब्लॉक की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती सुनीता जोशी PSC राज्य सेवा परीक्षा से श्रम पदाधिकारी पद पर चयनित हुई हैं उन्हें ढेरो बधाई…। जिसने आंगनबाड़ी के व्यस्तम समय से भी समय निकालकर आज राज्य के सबसे बड़ी परीक्षा में चयनित होकर प्रेरणा की मिशाल बनी है।
ऐसे बहुत सारे सक्सेस स्टोरी को छोड़कर psc अभ्यर्थी को गुमराह करने वाले लोग ज्यादा सक्रिय हैं। Psc की तैयारी करने वालो को अक्सर यहीं लगता है कि वही सबसे ज्यादा योग्य है और उनका ही चयन होना चाहिए। ऐसे गुमराह हुए अभ्यर्थी के लिए सलाह है कि थोड़ा घूमकर अपने प्रतिद्वंदी को पहचानने की कोशिश करें।
और बिना किसी तथ्य के मनगढ़ंत कहानी पर विश्वास न करें।और कुछ करना ही है तो सकारात्मक तथ्य इकट्ठे करे फिर प्रदेश की छवि ठीक करें।
CGPSC 2021 का रिजल्ट 11 मई 2023 को जारी :
पीएससी में DSP के कुल 30 पद पर 12 पद अनारक्षित वर्ग समूह के लिए था मतलब ओपन केटेगरी , ओबीसी और एस. सी. के योग्य अभ्यर्थी ने 5 सीट पर अपनी पकड़ बना ली। 12 में से 5 सीट आरक्षित अभ्यर्थी के पास और आरक्षित सीट अलग से है ही।
अब जागरूक जनता को लगने लगा है कि PSC में घोटाला हुआ है, और चयन सूची सही नही है। बिना किसी तथ्य और सबूत के आरोप लगाया जा रहा है। घोटाला तो तब भी हुआ है जब तमाम योग्यता के बावजूद आरक्षित वर्ग को उसी श्रेणी में रखा गया। अब जब पढ़ लिखकर योग्य अभ्यर्थी अनारक्षित में चयन हो रहे है तो जातिवादियों का पीएससी प्रेम जगने लगा है।
चयन नहीं जातिवादियों पर नजर गड़ाए रहिए:
जरा सोचिए कि किसी परीक्षा में कोई टॉप आ गया तो, ये कैसे डिसाइड होगा कि उस परीक्षा में धांधली हुई है या नहीं?
आसान तरीका ये है कि आरक्षित वर्ग के कोई भी अभ्यर्थी अगर टॉप या अनारक्षित श्रेणी में आ जायेगा तो, सीधे तौर पर ये आरोप लगाना आसान हो जाता है कि इस परीक्षा में धांधली हुई है।
2008 में पोराबाई जब बारहवी में फर्स्ट आई तो बवाल हो गया, हुआ कुछ नहीं।
पोरबाई अनुसूचित जाति की कैंडिडेट थी इसलिए शक किया गया, टीना डाबी upsc में फर्स्ट आई तो संदेह हुआ क्योंकि वो भी SC समुदाय से थी।
इस बार CGPSC को मुद्दा बनाया जा रहा क्योंकि टॉपर ओबीसी है और बहुत सारे पदों पर UR श्रेणी में ओबीसी और SC अभ्यर्थी का चयन हुआ है।
किसी भी परीक्षा में संदेह, धांधली या भ्रष्टाचार हुआ है इसका आधार सिर्फ और सिर्फ जाति है। जाति को लेकर नफरत का दायरा इस कदर बढ़ गया है कि बिना किसी प्रूफ के संस्था को संदेह के नजर से देखा जा रहा है।