रायपुर 10 मई 2023/
रायपुर।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री विजय शर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 2000 करोड़ रुपए के घोटाले को मनगढ़ंत बताए जाने पर पलटवार करते हुए कहा है कि लगातार भ्रष्टाचार की परतें खुलने से मुख्यमंत्री बघेल अब बौखला रहे हैं।
भाजपा प्रदेश महामंत्री शर्मा ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी का वादा कांग्रेस ने किया था, लेकिन जब-जब शराबबंदी पर सरकार का ध्यान खींचा गया, तब-तब मुख्यमंत्री बघेल अपने बयानों से पलटते रहे। शुरू-शुरू में शराबबंदी नहीं करने पर मुख्यमंत्री बघेल तो अपनी वादाखिलाफी का ठीकरा भाजपा पर फोड़ने लगे थे। श्री शर्मा ने कहा कि वादा कांग्रेस का है और उसे पूरा नहीं करने का अपराध प्रदेश की भूपेश सरकार का है, तो प्रदेश यह नहीं समझ पाया कि इसके लिए भाजपा कैसे जिम्मेदार हो गई?
श्री शर्मा ने कहा कि बौखलाहट इस कदर बढ़ गई है कि अब मुख्यमंत्री बघेल अपने ही विरोधाभासी बयानों में उलझते जा रहे हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल यह दावा करते रहे है कि प्रदेश में शराब की दुकानें कम हो रही हैं, शराब की बिक्री भी घट रही है। अब कार्यवाही के बाद प्रदेश में शराब से राजस्व आय में डेढ़ गुना इजाफे की शेखी मुख्यमंत्री बघेल ही बघार रहे हैं। उन्होंने कहा शराब घोटाले के भंडाफोड़ के बाद शराब से राजस्व आय इजाफे पर इतराते मुख्यमंत्री बघेल का दोहरा बयान ही उनकी कारस्तानियों का सबूत है
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल के बयानों में निहित बदहवासी यह बता रही है कि प्रदेश सरकार को शराब की लत लग चुकी है, और पूरी दाल ही काली हैं। श्री उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री 2000 करोड़ के शराब घोटाले को मनगढ़ंत बताने से पहले तथ्यों की पड़ताल कर लेते तो बेहतर होता। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कांग्रेस के नेताओं और जनप्रतिनिधियों के यहां से जब्त सैकड़ों करोड़ रुपए की नकदी व सम्पत्ति जब्त होने के बाद भी मुख्यमंत्री बघेल ईडी से और क्या सबूत चाहते हैं? गिरफ्तार अधिकारियों, दलालों को जमानत तक के लाले पड़े हुए हैं।
भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा कि दो हजार करोड़ के शराब घोटाले को मनगढ़ंत बताने वाले मुख्यमंत्री बघेल प्रदेश को बताएं कि ईडी ने रानू साहू साहू, दलाल सूर्यकांत तिवारी की 51 करोड़ रुपए की सम्पत्ति अटैच की है, क्या वह भी मनगढ़ंत है?
मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया की 51 सम्पत्ति को अटैच करना भी मनगढ़त हैं? क्या दो किलोमीटर तक बिछी गुलाब पंखुड़ियों का क़ालीन भी मनगढ़ंत था? क्या असम से लेकर उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश तक में चुनावों में बहे कांग्रेस के पैसे भी मनगढ़ंत थे? क्या कोरोना जैसे समय में असम के कांग्रेसियों के लिये बस्तर में मांस-मदिरा का पहाड़ खड़ा कर देना भी मनगढ़ंत था? क्या एयरपोर्ट के रास्तों पर बिखरी अकूत राशि, जिसका कोई दावेदार तक नहीं मिला, भी मनगढ़ंत ही है? क्या ईडी के छापे पड़ते ही शराब की वैध कमाई में ज़बतदस्त उछाल भी मनगढ़ंत ही है? मुख्यमंत्री को इधर उधर की बात करने के बजाय लुटे हुए कारवाँ के बारे में जबाव देना ही होगा। उनके हाथ वास्तव में प्रदेश की जनता के भरोसे का किए खून से रंगे हैं।
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