प्रत्येक कथा हमारे जीवन मे अवसर देती है:रमेश भाई

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रायपुर, 13 अप्रैल 2023/

आज कथा के तीसरे दिन रमेश भाई ओझा के दर्शन करने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक कुलदीप जुनेजा और महापौर एजाज़ ढेबर उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाई श्री के दर्शन करने का अवसर मिला इसलिये मैं गुजराती समाज का आभार व्यक्त करता हूँ। आजकल हर जगह अनेक नकारात्मक खबरें ही सुनने को मिलती है, इस ज्ञान यज्ञ से मानसिक और शारीरिक लाभ भी होगा , वेद उपनिषदों के वाचन और श्रवण से रोग दूर रहते हैं।

भगवान राम उत्तर से दक्षिण को गए कृष्ण उत्तर से पश्चिम को गए, लेकिन केवल छत्तीसगढ़ हो ऐसी जगह है जहाँ राम और कृष्ण दोनों पधारे, आरंग वह जगह है।

भाई श्री से आग्रह भी किया कि वे छत्तीसगढ़ की इन पौराणिक महत्व की जगह पर ज़रुर पधारें।

भागवत कथा में जो रस है वह और कहीं दिखाई नहीं देता ।

 

मुख्यमंत्री का धन्यवाद देते हुए भाई श्री ने अपनी बात आरम्भ की, वनवासी भाई बहनों के सादगी भरे स्वागत की बात उन्होंने बताई कि वनवासी भाई बहन शहरी छल कपट से बचे हुए हैं क्योकि वे प्रकृति से जुड़े हुए हैं माता प्रकृति के सामजंस्य स्थापित करके जीने की कला ही धर्म है।

वेदांत की भाषा मे उस शक्ति को ब्रह्म याने निराकार, फिर ईश्वर , माया रूपी और भगवान रूपी माना गया है।

रजोगुण के अधिष्ठाता ब्रह्मा, तमोगुण के अधिष्ठाता शिव, सतोगुण के अधिष्ठाता विष्णु हैं। ब्रह्मा सृजन के कारक है , शिव नश्वरता के तथा विष्णु पालन पोषण के कारक हैं। उन्होंने कहा आप जिस भी सम्प्रदाय से हों आप ईश्वर को माने या न माने परन्तु धर्म को माने बिना आप संसार मे नहीं चल सकते।

कुदरत ने ऐसी व्यवस्था की है कि आवश्यकता कभी अधूरी नहीं रहती और इच्छाएँ कभी पूर्ण नहीं होती।

संसार रूपी समंदर है तो समस्या रूपी लहर उठेगी ही, पर हर लहर किनारे जाकर टूटती भी है। संसार साइकल की तरह है पैडल भी मारना पड़ता है और सन्तुलन भी बनाये रखना पड़ता है, यही जीवन है यही यात्रा है।

सत्य तीन तरह का होता है प्रातिभासिक, पारमार्थिक और व्यवहारिक।

प्रत्येक कथा हमारे जीवन मे अवसर देती है कि कृष्ण का प्राकट्य हो जाये, इसी तरह हमे भी आज अवसर मिला है। धर्म चर्चा के लिए नही धर्म चर्या है, आचरण है।

नैमिषारण्य में यज्ञ हो रहा है फिर प्रश्नकाल होता है

राजा परीक्षित ने श्री शुकदेव जी से 6 प्रश्न पूछे।

शास्त्रों का सार क्या है, श्रेय किसे कहते हैं

श्रेय का साधन क्या है,भगवान के अवतार का प्रयोजन क्या है, कौन कौन से अवतार लेकर भगवान ने क्या क्या लीलाएँ की और जब भगवान स्वधाम चले जाएँ तो धर्म की रक्षा कौन करता है? इन सारे प्रश्नों के उत्तर आगे कथा में मिलते है ।

कथा के तीसरे दिन का समापन हो इससे पहले प्रतिदिन की तरह राम कृष्ण धुन पर पूरी सभा ने झूमते हुए नृत्य किया।


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