49वें खजुराहो नृत्य समारोह का भव्य समापन
भोपाल, 27 फरवरी 2023 /
खजुराहो में पत्थरों पर जीवंत शिल्प की रवानगी और भारतीय नृत्य कला के वैभव को अपने मन में संजोए दुनिया भर से आये सैलानी भरे दिल से अपने गाँव और शहरों के लिए रवाना हुए। खजुराहो नृत्य समारोह के आखिरी दिन भी पर्यटकों ने उत्सव का भरपूर आनंद लिया। गोपिका का मोहिनी अट्टम, अरूपा और उनके साथियों की भरतनाट्यम, ओडिसी और मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति उनकी आँखों में समाई हुई थी तो पुष्पिता और उनके साथियों का नृत्य भी उनकी स्मृतियों से जाने वाला नहीं है।
49वें खजुराहो नृत्य समारोह के आखिरी दिन नृत्य की शुरूआत गोपिका वर्मा के मोहिनीअट्टम से हुई। भारत की सांस्कृतिक दूत के रूप में विख्यात गोपिका ने गणेश स्तुति से अपने नृत्य की शुरूआत की। चित्रांगम् नाम की इस प्रस्तुति में उन्होंने नृत्यभावों से गणेशजी के स्वरूप को साकार किया। अगली प्रस्तुति भी मनोहारी थी। इसमें कृष्ण और रुक्मणी पासे खेल रहे है। रुक्मणी कृष्ण से कहती है कि अगर मैं ये खेल जीतती हूँ, तो आपको मुझसे ये वादा करना होगा कि आज के बाद आप किसी भी स्त्री को हाथ नहीं लगाएंगे। आप सिर्फ उन्हें देख सकते है पर स्पर्श नहीं कर सकते। कृष्ण ये बात मान जाते है। कृष्ण रुक्मणी की आँखों मे देखते है, जिससे वो गलती करती है और हार जाती है। इस पूरी कहानी के भाव को गोपिका ने बड़ी शिद्दत से नृत्यभावों में पिरोकर पेश किया। अंतिम प्रस्तुति में कृष्ण द्वारा रुक्मणी और गरूड़ के घमंड को तोड़ने की कहानी को भी गोपिका ने अपने नृत्य भावों में समेट कर दर्शकों के सामने रखा।
दूसरी प्रस्तुति अरूपा लाहिरी और उनके साथियों के भरतनाट्यम, ओडिसी और मोहिनीअट्टम नृत्य की हुई। तीन शैलियों के नृत्य की यह प्रस्तुति अनूठी थी। प्रस्तुति में अरूपा ने भरतनाट्यम, लिप्सा शतपथी ने ओडिसी और दिव्या वारियर ने मोहिनी अट्टम शैली में नृत्य किया। अरूपा और उनके साथियों की पहली प्रस्तुति भगवान सूर्य को समर्पित थी। सूर्य ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। नृत्य के जरिए सूर्य की पूजा उपासना को बड़े ही सहज ढंग से उन्होंने पेश किया। उनकी दूसरी पेशकश काम पर केंद्रित थी। जीवन के चार पुरुषार्थों में एक काम भी है। नृत्य में अरूपा और उनकी साथियों ने काम के प्रभाव को श्रृंगार के भावों से पेश किया। अगली प्रस्तुति में उन्होंने बताया कि कैसे स्त्री ऊर्जा और रचनात्मकता का प्रवाह है। नृत्य का समापन उन्होंने तिल्लाना से किया। सप्त मातृकाओं को समर्पित यह प्रस्तुति भी अनूठी रही।