लोक साहित्य के उन्नयन में युवाओं की भूमिका पर चर्चा सम्पन्न

साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए गीतकार रामेश्वर वैष्णव ने कहा कि प्रदेश में कोस-कोस में भाषा में परिवर्तन देखने को मिलता है इसमें एकरूपता की जरूरत है। छत्तीसगढ़ी व्याकरण को और अधिक सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। साहित्यकार डॉ. पीसी लाल यादव ने कहा कि लोक साहित्य को हमारे पूर्वजों ने सहेज कर रखा है, उसेे संजोने के जरूरत बताई। राजभाषा आयोग सचिव साहित्यकार डॉ. अनिल भतहपरी ने कहा कि युवा वर्तमान में जिन पंथी को देखते उसमें नृत्य की प्रधानता है, जबकि पंथी गाने का उद्देश्य बिल्कुल अलग है। पंथी आज भले वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की है, लेकिन वास्तव में बाबा गुरू घासीदास जी संदेश को जन-जन तक पहुंचना प्रमुख उद्देश्य था। लोक साहित्य सम्मेलन में साहित्यकार श्री चंद्रशेखर चकोर सहित अन्य साहित्य के रसिकजन उपस्थित थे।