पटना, 16 जनवरी 2022\ बीजेपी से निकाले जाने के करीब दो सप्ताह बाद Bihar BJP’s ex-vice राजीव रंजन रविवार को दोबारा सत्तारूढ़ जनता दल -यूनाइटेड में शामिल हो गए. उन्होंने पार्टी में वापस लिए जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काआभार भी जताया. भाजपा की बिहार इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव रंजन को पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में पिछले साल 30 दिसंबर को बर्खास्त कर दिया था. जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और इसकी राज्य इकाई के प्रमुख उमेश कुशवाहा ने रंजन का स्वागत किया.
जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिंह ने पटना में संवाददाताओं से कहा, राजीव के लिए यह घर वापसी है. हम खुश हैं कि वह अपनी पुरानी पार्टी में लौट आए हैं. भाजपा के अधिकांश नेता, जो जनता से जुड़े हुए हैं, खुद को भाजपा में सहज नहीं पाते हैं.
राजीव रंजन पहले नीतीश कुमार की जद (यू) के साथ थे और 2015 में भाजपा में शामिल हो गए थे. जद (यू) नेता ललन सिंह ने दावा किया, भाजपा को लोगों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि उसके नेता देश में धार्मिक नफरत फैलाने में व्यस्त हैं.
रंजन, एक मुखर नेता, पहले कुमार की जद (यू) के साथ थे और 2015 में भाजपा में शामिल होने तक उन्होंने लगातार दो बार इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. बिहार भाजपा ने पिछले साल 30 दिसंबर को रंजन को अनुशासनहीनता के लिए बर्खास्त कर किया था.
बीजेपी ने 29 दिसंबर, 2022 को राज्य इकाई प्रमुख संजय जायसवाल द्वारा जारी इस आशय का एक पत्र साझा किया था, जब रंजन ने दावा किया था कि उन्होंने प्राथमिक सदस्यता से “इस्तीफा” दे दिया है. अनुभवी राजनेता ने कहा था कि उन्होंने भाजपा छोड़ दी, क्योंकि बिहार में भगवा पार्टी “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और आदर्शों से पूरी तरह से भटक गई थी”. जद (यू) में जाने के बाद, रंजन ने संवाददाताओं से कहा कि वह उन्हें पार्टी में स्वीकार करने के लिए “मुख्यमंत्री के आभारी हैं”,
जद (यू) के ललन सिंह ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर “वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए देश में सांप्रदायिक जहर फैलाने” का आरोप लगाया, जैसे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और बेरोजगारी. सिंह ने ‘उज्ज्वला योजना’ की कथित विफलता के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि “पूरे देश में बहुप्रचारित योजना फ्लॉप हो गई है”. ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ (पीएमयूवाई) की शुरुआत ग्रामीण और वंचित परिवारों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन जैसे एलपीजी उपलब्ध कराने के लिए की गई थी, जो अन्यथा जलाऊ लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले आदि का उपयोग कर रहे थे.
जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, “रिपोर्टें बताती हैं कि लाभार्थी मुश्किल से सिलेंडर भरवा रहे हैं क्योंकि एलपीजी की कीमत तेजी से बढ़ी है मई 2016 में जब ‘उज्ज्वला’ योजना शुरू की गई थी, तब एक एलपीजी सिलेंडर की कीमत लगभग 400 रुपये थी. “अब, लागत 1200 रुपये से तीन गुना अधिक है. केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत कार्यक्रम का भी यही हाल है. लोग शायद ही इस योजना का लाभ उठाते हैं.” भाजपा नेताओं से उनकी टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका.
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