बच्चे की किलकारी सुनने को तरस रहे हैं आपके कान? कहीं इस बीमारी की वजह से तो नहीं बांझपन
नई दिल्ली,19 दिसम्बर 2022\ ज्यादातर महिलाओं की इच्छा होती है कि उनकी कोख हरी हो. वह भी किसी बच्चे को जन्म दें और मां होने का असली सुख अनुभव करें. लेकिन सभी महिलाएं इतनी भाग्यशाली नहीं होतीं कि वह किसी बच्चे की मां बन सकें. जो महिलाएं मां नहीं बन पाती हैं, लोग उन्हें अजीब दृष्टि से देखती हैं. भारत जैसे देशों में विशेषतौर पर ग्रामीण इलाकों में ऐसी महिलाओं को बांझ कहकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. कई महिलाओं को मानसिक और शारीरिक तौर पर घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है. एक तरफ बांझपन अपने आप में एक बीमारी है तो दूसरी तरफ कई अन्य कारण भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. कई बार कमी पुरुष में होती है और इसका सजा महिला को झेलनी पड़ती है. इसके अलावा टीबी भी एक वजह है, जिसके कारण कई महिलाएं मां बनने से महरूम रह जाती हैं.
ऐसे में टीबी जांच जरूर करवाएं
अगर आप भी एक महिला हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद प्राकृतिक तरीके से मां नहीं बन पा रही हैं तो एक बार अपनी टीबी (Tuberculosis) जांच करवा लें. दिल्ली में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि कई महिलाओं के मां न बन पाने का कारण उनका टीबी संक्रमण है. दिल्ली के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में बांझपन के इलाज के लिए एक क्लीनिक चलाया जाता है. यहां बांझपन का इलाज करवाने आई लगभग 23 फीसद महिलाओं को टीबी था. जब उनका टीबी का इलाज किया गया तो इसके बाद कई महिलाएं मां बनने में सफल रहीं.
अध्ययन में क्या है?
कस्तूरबा गांधी अस्पताल में हुए इस अध्ययन में 177 महिलाओं को शामिल किया गया, जिन्हें बांझपन की शिकायत थी. अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉक्टर मारुति सिन्हा का कहना है कि महिलाओं के बांझपन का एक बड़ा कारण टीबी के रूप में सामने आया है. उन्होंने बताया कि 177 में 23 फीसद महिलाएं ऐसी थीं, जिन्हें पहले टीबी था, कुछ महिलाओं को अध्ययन के समय भी टीबी था.
जेनेटाइल टीबी की मरीज ज्यादा
अध्ययन के दौरान जांच की गई तो पता चला कि टीबी से पीड़ित महिलाओं की लेप्रोस्कोपिक जांट में 55 फीसद महिलाओं को जननागों की टीबी (Genetile Tuberculosis) निकली. यही नहीं चौंकाने वाली बात यह रही कि जेनेटाइल टीबी से पीड़ित 87 फीसद महिलाओं की उम्र सिर्फ 25 से 35 वर्ष के बीच थी.
टीबी का संक्रमण महिलाओं में फेलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में फैल जाता है. टीबी महिलाओं के जननांगों के बाहरी हिस्से के साथ ही ओवरी और सर्विक्स में भी फैल जाती है. टीबी के सामान्य इलाज से यह स्थिति ठीक हो जाती है. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो समस्या चिंताजनक रूप ले सकती है. ओवरी से अंडा फैलोपियन ट्यूब के जरिए ही गर्भाशय तक पहुंचता है, लेकिन टीबी का बैक्टीरिया फैलोपियन ट्यूब को बंद कर देता है, जिसकी वजह से गर्भ नहीं ठहरता.