तवांग झड़प पर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का बयान

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नई दिल्ली,15 दिसम्बर 2022\ अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को हुई झड़प पर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन (Pentagon) का बयान सामने आया है। पेंटागन ने कहा है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर फौज और सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को लगातार बढ़ा रहा है। हम भारत की कोशिशों का समर्थन करते हैं, चीन से अपने सहयोगियों की सुरक्षा को लेकर हम सतर्क हैं।

भारत-चीन संघर्ष पर व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि हमें खुशी है कि दोनों पक्ष जल्दी से अलग हो गए। हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और भारत और चीन को विवादित सीमाओं पर चर्चा करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय माध्यमों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

तनाव कम करने के भारत के प्रयास को पूरा समर्थन: पैट राइडर

पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा कि हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेंगे। हम तनाव कम करने के भारत के प्रयास का पूरा समर्थन करते हैं। बता दें कि 9 दिसंबर को भारत-चीन सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। चीनी सैनिकों ने एलएसी को पार करने की कोशिश की थी और यथास्थिति को बदलने की कोशिश भी की थी।

चीनी सैनिकों की इस कोशिश को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था और चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था। संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को अपने बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी भारतीय सैनिक की मौत नहीं हुई और न ही किसी को कोई गंभीर चोट आई है।

उन्होंने बताया कि भारतीय और चीनी सेना के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना के स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर को अपने समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना के जवानों (जम्मू और कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फैंट्री) ने चीनी सैनिकों के हमले को विफल कर दिया।

भारत-अमेरिका ने उत्तराखंड में किया था सैन्य अभ्यास

बता दें कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 100 किलोमीटर दूर संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था। इस एक्सरसाइज को लेकर चीन ने अपनी आपत्ति व्यक्त की थी और कहा कि ये अभ्यास नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित दो समझौतों की भावना का उल्लंघन है।

चीन के इस आरोप के बाद भारत और अमेरिका दोनों ने संयुक्त अभ्यास के लिए चीन के विरोध को खारिज कर दिया और कहा कि किसी तीसरे देश को इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने की अनुमति नहीं है। भारत ने कहा कि भारत-अमेरिका अभ्यास का 1993 और 1996 के समझौतों से कोई लेना-देना नहीं है।


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